42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

अरुणा शानबाग : 42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

सोहनलाल को पकड़ा गया, सजा भी हुई. हमले और लूटपाट के लिए सात साल की दो सजाएं साथ साथ चलीं. लेकिन बलात्कार, यौन उत्पीड़न या कथित अप्राकृतिक यौन हमले के लिए उसे सजा नहीं मिली. नृशंस हमले के बाद अरूणा केईएम अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर वार्ड नंबर चार से जुड़े एक कमरे की स्थायी मरीज बन गई. इतने बरसों तक नर्सें उसकी देखरेख करती रहीं, उसके भोजन की व्यवस्था करती रहीं और उसकी अन्य जरूरतें पूरी करती रहीं.

 
 
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