लोहड़ी के रंग, गिद्दा-भांगड़ा के संग

Photos: लोहड़ी के रंग, गिद्दा-भांगड़ा के संग

नया साल शुरू होते ही सबसे पहला त्यौहार मनाया जाता है लोहड़ी. यह त्यौहार ऋतु परिवर्तन और पंजाब में नई फसल आने के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. अच्छी फसल होने की खुशी में ढोल नगाड़ों पर रंग बिरंगे दुपट्टे लहराते हुए गिद्दा करती महिलाएं भारत की सांस्कृतिक विविधता में चार चांद लगा देती हैं. लोहड़ी की धूम देखनी हो तो गेहूं उत्पादन में देश में खास स्थान रखने वाले पंजाब से बेहतर भला और कौन सा राज्य हो सकता है. गेहूं की फसल अक्टूबर में बोई जाती है और मार्च अप्रैल तक पक कर तैयार हो जाती है. लेकिन जनवरी में संकेत मिल जाता है कि फसल अच्छी हो रही है या नहीं. अच्छी फसल का संकेत मिल जाए तो किसानों के लिए इससे बड़ा जश्न और कोई नहीं होता. यह खुशी वह लोहड़ी में जाहिर करते हैं. इस पर्व के दौरान किसान यह कह कर सूर्य भगवान का आभार व्यक्त करते हैं कि उनकी गर्मी से अच्छी फसल हुई. इसीलिए इस पर्व का संबंध सूर्य से माना जाता है. लोहड़ी जाड़े की विदाई का भी संकेत होता है. माना जाता है कि लोहड़ी के अगले दिन से सूर्य मकर राशि यानी उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है. सूर्य की यह अवस्था 14 जनवरी से 14 जुलाई तक रहती है और इसे उत्तरायण कहा जाता है.

 
 
Don't Miss