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- 'ये मेरे वतन के लोगों'

कवि सम्मेलन में उनके गीतों को सुनकर बाम्बे टॉकीज स्टूडियो के मालिक हिंमाशु राय काफी प्रभावित हुये और उन्होंने प्रदीप को अपने बैनर तले बन रही फिल्म कंगन के गीत लिखने की पेशकश की. 1939 मे प्रदर्शित फिल्म कंगन मे उनके गीतों की कामयाबी के बाद प्रदीप बतौर गीतकार फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये. इस फिल्म के लिये लिखे गये चार गीतों में से प्रदीप ने तीन गीतों को अपना स्वर भी दिया था. 1940 मे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था. देश को स्वतंत्र कराने के लिय छिड़ी मुहिम में कवि प्रदीप भी शामिल हो गये और इसके लिये उन्होनें अपनी कविताओं का सहारा लिया. अपनी कविताओं के माध्यम से प्रदीप देशवासियों मे जागृति पैदा किया करते थे.
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