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इनका यह भी कहना है कि देश के कुछ हिस्से खासकर पिछड़े इलाकों से चुने जाने वाले कई अनपढ़ जन प्रतिनिधियों के चलते आदिवासियों की समस्याओं को विधानसभा और लोकसभा में दमदारी से उठाने में असमर्थ होते हैं. जिसके कारण आदिवासी समाज आज भी गरीब है और गरीबी की मार झेलने को मजबूर है.
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