आखिर क्या है खजाने का सच?

 आखिर क्या है उन्नाव के खजाने का सच?

उन्नाव के डौंडियाखेड़ में सोने की खोज भले ही जारी हो लेकिन अब जनता महाखजाने का सच जानना चाहती है. दरअसल, आस्था और अंध विश्वास में बस एक कदम का अन्तर होता है और आस्था के सहारे खजाना मिलने के विश्वास को अंधा साबित करने में जुटने वाले यह भूल जाते हैं कि आस्था की आंखें होती हैं. संत शोभन के प्रति बक्सर और उन्नाव के डौड़ियाखेड़ा के ग्रामीणों की श्रद्धा के मूल में संत का जन कल्याणकारी चरित्र है. जब राजनीति जनता का हित साधन न कर शोषण का माध्यम बन जाये तो लोगों के सामने मुक्ति के विकल्प ही कहां बचते है. अपने लम्बे संन्यासी जीवन में संत शोभन ने खुद को त्राता के रूप में स्थापित किया है. संत शोभन ने कहा है तो सच ही होगा यह जुमला यहां के लोगों के मुंह से अनायास ही सुना जा सकता है. मगर दशकों की मेहनत से बनी संत की प्रतिष्ठा पहली बार दांव पर लगी जब उन्होंने डौडियाखेड़ा में वीरान पड़े 19वीं सदी के किले के खण्डहरों में हजार टन सोना दबा होने का दावा कर दिया.

 
 
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