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- अंधेरे में रोशनी खो रहे हैं दीये
विमला ने यह भी कहा, ‘‘हमने अपने बच्चों (पौत्रों) को इस धंधे में नहीं आने दिया. हमने उन्हें अलग-अलग काम में लगाया है. क्योंकि इस धंधे में अब कोई लाभ नहीं हो रहा है और इससे गुजारा भी बड़ी मुश्किल से होता है. पहले दीपावली के समय में हमारे पास काम की कमी नहीं होती थी. अब मुश्किल से काम होता है.’’
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