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- घोड़ी पर निकली दलित दूल्हे की बारात
खास बात यह है कि पिछले लगभग सौ सालों से यह फरमान अमल में लाया जा रहा था और इन सालो में किसी ने भी इस सांमती-रूढ़ीवादी परंपरा के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं की. लेकिन गांव के ही रतन लाल बैरवा के बेटे रणजीत को जब यह पता चला कि वह अन्य दूल्हों की तरह घोड़ी पर बैठकर अपनी दुल्हन शारदा को ब्याहने नहीं जा सकेगा तो उसने इसके खिलाफ आवाज उठाने की ठान ली. वह पहले अपने हलके के पुलिस स्टेशन और फिर जिला कलेक्टर तक मामले को ले गया और आखिरकार पुलिस के जवानों की मौजूदगी में रणजीत ने बाकायदा घोड़ी पर बैठकर ही बिन्दोली निकाली और पिछले सौ सालों से भी ज्यादा समय से चली आ रही उस परिपाटी को तोड़ दिया, जिसमें दलित दूल्हे की घोड़ी पर बैठकर जाने पर पाबंदी थी.
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