हजरत इमाम-ए-हुसैन नाम नहीं पैगाम

 हजरत इमाम-ए-हुसैन नाम नहीं पैगाम है : मौ. मंसूर

ऐशबाग ईदगाह में मौलाना अतीकुर्रहमान नदवी ने कहा कि इस्लाम ने औरतों को जो मुकाम व इज्जत बख्शी है दूसरे धर्मो में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. पैगम्बर हजरत मोहम्मद (स.अ.) का फरमान है कि मां के कदमों के नीचे जन्नत है. एक मां के रूप में औरत जमीन पर तमाम इंसानों से ज्यादा इज्जत की हकदार है.एक बीवी के रूप में वह सबसे ज्यादा शौहर के अच्छे व्यवहार की हकदार है. इस्लाम ने हर और के लिए शिक्षा को आवश्यक करार दिया है. पर्दे को जरूरी करार देकर उसकी आबरू को सुरक्षित किया है. निजामबाग चौपटियां में चल रही महफिले नूर में हाजी शहाबुद्दीन खान ने कहा कि किसी गुनाह को छोटा समझना, सबसे बड़ा गुनाह है. जो व्यक्ति अपनी बुराइयों पर नजर रखता है वह दूसरों की कमियां ढू़ढ़ने से दूर रहता है. इंद्रियों का जेहाद तलवार के जेहाद से बेहतर है. एक मीनारा मस्जिद अकबरीगेट में कारी मोहम्मद सिद्दीक ने हजरत अली रजी. की फजीलत बयान की. उन्होंने कहा कि इमाम आली मुकाम हजरत इमाम हुसैन रजी. को अपनी शहादत का इल्म था. यह आप की शान है कि अपनी शहादत की जानकारी होने के बावजूद भी आपको जर्रा बराबर भी लर्जिश नहीं हुई. हजरत इमाम हुसैन के इस जज्बे ने यह पैगाम दिया कि तालिब रजा-ए-हक मौला की मर्जी पर होता है. इसी में दिल का चैन और उसकी हकीकी तसल्ली है. हाता शौकत अली स्थित मौलाना अब्दुल शकूर हाल में दारूल उलूम देवबंद के अध्यापक मुफ्ती राशिद ने जलसे को खिताब करते हुए कहा कि हजरत अबूबक्र रजी. के दौर-ए-खिलाफत को भुलाया नहीं जा सकता है. उनकी नेकियां आसमान के सितारों से भी अधिक हैं.

 
 
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