किसी के घर न जन्मे किन्नर

किसी के घर न जन्मे किन्नर, की दुआ

भले ही इनकी अलग एक दुनिया है और समाज में इन्हें स्वीकारने वालो की भी बेहद कमी है पर इसी समाज का ये एक हिस्सा है और हमें उसे स्वीकारना ही पड़ेगा और यही वज़ह है की जिनके आसरे मांग कर ये समाज में कविज है तो उन्हें ये तहे दिल से मानकर उनका शुक्रिया अदा करते है और जग की सलामती की इस सम्मलेन में दुआ करते है.

 
 
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