और एक बार जीत जाइए तो पहुँच के हिसाब से बधाइयां पहुँचने ही लगती हैं. सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़े लोगों से गले मिलने का सुअवसर सबको नहीं मिलता. मुंह ऐसे भी मीठा कराया जाता है.
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और एक बार जीत जाइए तो पहुँच के हिसाब से बधाइयां पहुँचने ही लगती हैं. सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़े लोगों से गले मिलने का सुअवसर सबको नहीं मिलता. मुंह ऐसे भी मीठा कराया जाता है.