मुंबई की नार्थ सेन्ट्रल लोकसभा सीट पर मशहूर वकील और विशुद्ध राजनीतिज्ञ वर्षा गायकवाड़ की टक्कर, जनता किसको देगी आशीर्वाद ?

Last Updated 28 Apr 2024 12:44:09 PM IST

मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट पर कानून के जानकार और राजनैतिक भूमि की नस-नस से वाकिफ के बीच टक्कर होने जा रही है।


उज्जवल निकम, वर्षा गायकवाड

पिछले दो चुनाव से यहां की सांसद रहीं पूनम महाजन की जगह बीजेपी ने मशहूर वकील उज्जवल निकम को प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने वर्षा गायकवाड़ को चुनाव मैदान में उतारा है। टिकट कटने के बाद निश्चित तौर पर पूनम महाजन को निराशा हुई होगी, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उन्होंने अपनी निराशा व्यक्त नहीं की है और शायद ना ही आगे कर पाएंगीं। कभी भाजपा के धुरंधर नेता रहे प्रमोद महाजन की बेटी पूनम ने एक्स पर डाले पोस्ट के जरिए भाजपा और मोदी के प्रति आभार जताया है। बहरहाल उज्जवल निकम को लेकर एक उत्सुकता जरूर बनी रहेगी। जनता यह जरूर जानना चाहेगी कि कानून के क्षेत्र में परचम लहराने वाला एक व्यक्ति राजनीति की पिच पर क्या गुल खिलाएगा। यह जानते हुए कि उनका मुकाबला एक विशुद्ध राजनीतिक परिवार की सदस्य और खुद वर्षों से राजनीति में सक्रिय रहीं वर्षा गायकवाड़ से होना है। वर्षा न सिर्फ राजनीति में हैं बल्कि महाराष्ट्र सरकार में कई मंत्रालय भी संभाल चुकी हैं। आगे बढ़ने से पहले दोनों प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि के बारे में जान लेते हैं। वर्षा गायकवाड महाराष्ट्र के पुराने नेता एकनाथ गायकवाड़ की बेटी हैं। वह कांग्रेस के टिकट पर पहली बार 2004 में धारावी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनी थीं। अब तक वो चार बार विधायक बन चुकीं हैं। 2010 से लेकर 2014 तक महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं। 2009 से 2010 तक राज्य मंत्री रहीं। उनके पिता एकनाथ गायकवाड चौदहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य रहे। 2021 में कोविद-19 के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। यानी वर्षा गायकवाड पूर्ण रूप से राजनीतिक हैं। राजनीति की भाषा को समझती हैं। राजनीति से जुड़ी हुई बारीकियों को भलीभांति जानती हैं। जहां तक बात है उज्जवल निकम की तो निकम 26/11 मुंबई हमले के अलावा 1993 बम ब्लास्ट, गुलशन कुमार मर्डर समेत कई हाई प्रोफाइल केस में सरकारी पक्ष की पैरवी कर चुके हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, निकम अब 628 दोषियों को उम्रकैद तो 37 आरोपियों को फांसी की सजा दिलवा चुके हैं। उज्ज्वल निकम को साल 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2009 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की ओर से सतारा से स्वतंत्रता सेनानी उंधलकर पुरस्कार दिया गया था। निकम जब मुंबई हमले के केस के मुख्य अभियोजक बने थे, तो सरकार द्वारा उन्हें जेड सिक्योरिटी भी दी गई थी। मुंबई हमले में पकड़े गए एक मात्र आतंकी अजमल आमिर कसाब के मुकदमे में भी निकम सरकारी वकील थे और उन्होंने कसाब की मौत की सजा को मुकर्रर करने को लेकर कोर्ट में बहस भी की थी, जो कि उनकी एक अहम सक्सेस स्टोरी भी रही थी। उज्जवल निकम ने कसाब को बिरियानी खिलाने की बात कहकर एक बार काफी बड़ा बवाल खड़ा कर दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने कसाब को फांसी दिए जाने के 3 साल बाद एक बातचीत में कहा था कि कसाब ने कभी भी मटन बिरयानी नहीं मांगी थी और ना ही उसको बिरयानी दी गई थी। उन्होंने यह बात इसलिए तब कह दी थी क्योंकि कसाब के लिए भावनात्मक माहौल बनाने की कोशिश हो रही थी।कसाब को लेकर काफी ज्यादा चर्चा में हो रही थी और मामले को एक भावनात्मक एंगल देने की कोशिश की जा रही थी। निकम का कहना था कि बिरियानी वाली बात से माहौल काफी बदल गया था।

 निकम के बारे में कहा जाता है कि वह डिप्लोमेटिक बातें नहीं करते हैं। तथ्यों और साक्ष्यों के साथ बड़ी मजबूती से अपने केस के पैरवी करते हैं। उनके विरोधी वकील भी उनके दलीलों के कायल हो जाते हैं। उज्जवल निकम  पहली बार राजनीति की पिच पर उत्तर रहे हैं। राजनीति की पिच पर बहुत सी बातों को घुमा फिरा कर बोलना पड़ता है। जबकि उज्जवल निकम को अपनी बातों को सीधा और सपाट तरीके से रखने की आदत है। ऐसे में उनका सीधा सपाट रवैया उनकी राह में रोड़ा भी बन सकता है। वैसे बीजेपी ने अगर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है तो कुछ सोच समझ कर ही बनाया होगा। उधर  उज्जवल निकम को भी पता होगा कि कभी लगातार टीवी चैनल पर दिखने वाला चेहरा बरसों से गुमनामी में क्यों है ? चलिए तो यह रही दोनों प्रत्याशियों की प्रोफाइल। लेकिन इन दोनों के बीच एक तीसरा नाम भी है पूनम महाजन का। उनकी भूमिका को लेकर चर्चा होती रहेगी। हालांकि टिकट कटने के बाद पूनम महाजन ने एक्स पर एक पोस्ट डालकर भाजपा और मोदी के प्रति अपना आभार जताया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि टिकट कटने के बाद से पूनम को तकलीफ़ हुई होगी, उनके समर्थकों को निराशा हुई होगी। ऐसे में पूनम महाजन का पार्टी और मोदी प्रेम कितना बरकरा रहता है। अब रही बात नॉर्थ सेंट्रल लोक सभा क्षेत्र की जनता की। वहां की जनता के बीच दो तरह के प्रत्याशी सामने आ रहे हैं। एक वह व्यक्ति है जो कानून का ज्ञाता है, जिसे पब्लिक के बीच में जाने की आदत नहीं रही है, जबकि दूसरी प्रत्याशी अब तक  सिर्फ जनता के बीच ही रही हैं और जनता ही उन्हें चुनकर अब तक विधानसभा में भेजती रही है। नॉर्थ सेंट्रल लोक सभा क्षेत्र अब हॉट सीट बन गई है। देश की तमाम चर्चित सीटों में नॉर्थ सेंट्रल का भी नाम जुड़ गया है।यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि जनता कानून के ज्ञाता को विजय की माला पहनाती है या फिर राजनीति के धुरंधर को अपना आशीर्वाद प्रदान करती है।

 

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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