इजराइल पर हमला करना ईरान की दृढ़ता
ईरान की ओर से शनिवार देर रात इजराइल पर किये गये ड्रोन और मिसाइल हमलों से पश्चिमी एशिया में एक नया शक्ति समीकरण उभरने के संकेत मिल रहे हैं। एक अप्रैल को सीरिया में ईरानी दूतावास पर इजराइली हमले के बाद तेहरान ने तेल अवीव पर हमला करने की घोषणा कर दी थी।
इजराइल पर हमला करना ईरान की दृढ़ता |
हांलाकि अमेरिका और पश्चिमी देशों ने ईरान पर बदले की कार्रवाई करने से दूर रहने का काफी दवाब बनाया था। लेकिन ईरान का नेतृत्व हमला करके राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि ने साफ तौर पर कहा है कि इजराइल पर हमला उसकी हरकत का ही जवाब है और ईरान ने अपने आत्म रक्षा के अधिकार का इस्तेमाल किया है।
उन्होंने यह भी कहा है कि जवाबी सैन्य कार्रवाई के बाद इस मामले को खत्म समझा जाये। लेकिन अगर इजराइल की ओर से अब कोई हमला होता है तो इसके परिणाम बहुत बुरे होंगे। यह संघर्ष ईरान और इजराइल के बीच का है और अमेरिका को इससे दूर रहना चाहिए।
जाहिर है ईरान के नेतृत्व का यह रुख बताता है कि वह पश्चिमी एशिया में अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबावों का कड़ा प्रतिरोध करेगा ईरान की इस दृढ़ता से इस क्षेत्र में उसकी नयी साख बनी है। ईरान और इजराइल संघर्ष के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में विचार विमर्श हुआ जिसमें रूस खुलकर ईरान के पक्ष में आ गया है और चीन की भी तेहरान के साथ सहानुभूति है। गौर करने वाली बात यह है कि किसी भी मुस्लिम देश ने ईरान का समर्थन नहीं किया है।
लेकिन सुरक्षा परिषद में इजराइल के प्रधान प्रतिनिधि ने विभाजनकारी बयान देते हुए कहा है कि ईरान शिया वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। सीरिया, इराक, लेबनान का हिजबुल्ला और यमन के हूती विद्रोही शिया समुदाय के हैं। हैरानी की बात यह भी है कि हमास सुन्नी है और हिजबुल्ला तथा हूती जैसे संगठन हमास का समर्थन कर रहे हैं।
गाजा में पिछले छह महीनों से इजराइल द्वारा नरसंहार जारी हैं जिसके कारण पश्चिमी एशिया का पूरा क्षेत्र अशांत बना हुआ है। शायद यही वजह है कि अमेरिका और पश्चिमी देश ईरान और इजराइल संघर्ष को और बढ़ाने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहे हैं।
राष्ट्रपति बाइडन ने संकेत दिया है कि अगर इजराइल ईरान के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई करता है तो अमेरिका उसका साथ नहीं देगा। भारत ने दोनों पक्षों से संयम की अपील की है। उसने यूक्रेन संघर्ष के दौरान रूसी हमले की निंदा नहीं की थी। इसी तरह ईरानी हमले की भी निंदा नहीं की है। फिलहाल भारत की प्राथमिकता ईरान के कब्जे वाले जहाज से 17 भारतीयों की रिहाई कराने की है।
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