वैश्विकी : अमेरिकी चुनाव की परिणतियां

Last Updated 30 Aug 2020 12:15:45 AM IST

भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में किसका पक्ष लेंगे इसे लेकर भारत में बहुत उत्सुकता है।


वैश्विकी : अमेरिकी चुनाव की परिणतियां

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन  दोनों भारतीय मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में लगे हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या करीब 40 लाख है। देश में कुल वैध भारतीय मतदाता 24 लाख हैं। इन मतदाताओं की संख्या भले ही कम हो, लेकिन देश के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां उनके मत निर्णायक सिद्ध हो सकते हैं। अमेरिका में ऐसे कुछ राज्य हैं, जिन्हें ‘स्विंग स्टेट’ कहते हैं। इन राज्यों के मतदाता किसी भी पार्टी के स्थायी समर्थक नहीं हैं। हर चुनाव में अपना रुझान बदलते रहते हैं और चुनाव परिणाम में उलटफेर कर देते हैं। ये राज्य हैं-न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, मिशिगन और पेंसिलवेनिया आदि।
परंपरागत रूप से अमेरिकी भारतीय मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में मतदान करते रहे हैं। इसका कारण है कि डेमोक्रेटिक पार्टी आव्रजन, बहुलवादी संस्कृति और सांस्कृतिक विभिन्नता के बारे में उदार रवैया रखती है। रिपब्लिकन पार्टी को रूढ़िवादी माना जाता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने आव्रजन के बारे में पार्टी के पुराने रवैये को और सख्त बनाया है, जिसे लेकर एशिया के देशों से आए प्रवासी ज्यादा आशंकित हैं।

ट्रंप अभियान में भारतीय मतदाताओं को रिझाने के लिए बहुत मजबूत प्रचार अभियान चलाया है। इसके तहत एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के ह्यूस्टन (अमेरिका) और अहमदाबाद में आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रमों के क्लिप शामिल हैं। वीडियो क्लिप में मोदी द्वारा ट्रंप की बढ़-चढ़कर प्रशंसा की गई है। ह्यूस्टन में मोदी ने भारतीय श्रोताओं की ओर इशारा करते हुए ट्रंप से कहा था कि वे उन्हें ‘अपने परिवार के लोगों’ के सामने पेश कर रहे हैं। ट्रंप अभियान को आशा है कि ‘मोदी परिवार’ के मतदाता इस बार उनके पक्ष में बढ़-चढ़कर मतदान करेंगे। ह्यूस्टन के कार्यक्रम में ट्रंप ने ‘कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद’ की चर्चा की थी, जिस पर लंबे समय तक करतल ध्वनि हुई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने जब भारत की यात्रा की थी, उस समय कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विवाद चरम पर था। ट्रंप जिस समय दिल्ली में थे, उस समय राजधानी सांप्रदायिक हिंसा के चपेट में थी। इस पूरे घटनाक्रम पर ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की। इसके विपरीत उन्होंने मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की जो पाकिस्तान ही नहीं बल्कि घरेलू मोच्रे पर स्थिति को दुरुस्त करने में सक्षम है। ट्रंप का यह कथन भारत ही नहीं बल्कि भारतीय अमेरिकी लोगों के लिए भी एक सुखद बात थी। ट्रंप का यह रवैया राष्ट्रपति बराक ओबामा से पूरी तरह भिन्न था। ओबामा जब भारत आए थे तब उन्होंने अमेरिका और भारत के संबंधों का गुणगान किया था, लेकिन जाते-जाते मोदी सरकार को सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता की नसीहत दे गए थे। ट्रंप ने अपनी भारत यात्रा में ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि उन्होंने मोदी के नेतृत्व और नीतियों का समर्थन किया। इसी आधार पर उनकी चुनाव टीम को आशा है कि इस बार 50 सीनेट से अधिक भारतीय मूल के मतदाता रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे।
डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन का चुनावी खेमा भारतीय मतदाताओं के बदलते रुख के प्रति सजग है। कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के पीछे भी यही रणनीति थी कि भारतीयों सहित विभिन्न देशों के प्रवासियों का समर्थन बनाए रखा जाए। हैरिस की माता तमिल थीं और पिता अफ्रीकी मूल के थे। उम्मीदवारी स्वीकार करते हुए कमला ने अपनी भारतीय पृष्ठभूमि की चर्चा की। उनकी उम्मीदावारी से डेमोक्रेटिक पार्टी को उम्मीद है कि अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और भारतीय मूल के मतदाता उनके पक्ष में मतदान करेंगे, लेकिन भारतीय मूल के लोगों में इस पार्टी की कश्मीर नीति को लेकर आशंकाएं हैं। यह पार्टी कश्मीर में आत्मनिर्णय के अधिकार के बारे में जो रवैया रखती है, वह भारतीय मूल के लोगों को स्वीकार नहीं है। बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का तकाजा है कि चाहे कोई भी पार्टी चुनाव जीते, भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। द्विपक्षीय संबंधों को लेकर अमेरिका के दोनों पार्टियों में यही आमराय है।

डॉ. दिलीप चौबे


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