क्रिकेट 2017: विराट का वर्चस्व, मिताली कप्तान से बनी अब एक ब्रांड

Last Updated 29 Dec 2017 03:46:05 PM IST

प्रतिद्वंद्वी टीमों को लगातार रौंदने से विराट कोहली की महानता में इस वर्ष तेजी से बढ़ोतरी हुई जबकि भारतीय महिला टीम को भी अपने शानदार विश्व कप अभियान की बदौलत अंतत: क्रिकेट को लेकर जुनूनी देश से प्यार और सम्मान मिला.


क्रिकेट 2017: विराट का वर्चस्व, मिताली अब एक ब्रांड

किंग कोहली लगातार नौ सीरीज जीतने के बाद अब अगले 18 महीनों में मिलने वाली चुनौती के लिये तैयार हैं जबकि पिछले छह महीनों में मिताली राज महिला क्रिकेट टीम की कप्तान से अब एक ब्रांड बन गयी हैं.
          
भारतीय महिला टीम भले ही मेजबान इंग्लैंड से वि कप के रोमांचक फाइनल में हार गयी हों, लेकिन इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें देश में लोगों का प्यार और वित्तीय प्रोत्साहन मिला जिससे महिला टीम कुछ समय के लिये देश में सुर्खियों में रहीं.
           
वहीं प्रतिद्वंद्वी टीमों के लिये भारतीय पुरूष टीम के बेहतरीन सफर को रोकना नामुमकिन रहा.
           
हालांकि भारतीय टीम ने अपने ज्यादातर मैच घरेलू मैदान पर ही खेले लेकिन लगातार नौंवी टेस्ट सीरीज जीतना और लगातार आठ वनडे सीरीज अपने नाम करना कोई उपलब्धि से कम नहीं.
         
कोहली और उनकी टीम को हालांकि कुछ मौकों पर परीक्षा से भी गुजरना पड़ा जैसे आस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणो टेस्ट में मिली हार या ईडन गार्डस में श्रीलंका के खिलाफ तेज गेंदबाजों के मुफीद पिच पर पहली पारी में सिमटना मुश्किल मौके रहे. लेकिन ऐसा एकाध बार ही हुआ.
         
इस इतने शानदार वर्ष में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन चैम्पियंस ट्राफी का फाइनल रहा जिसमें उसे पाकिस्तान से हार का मुंह देखना पड़ा जबकि भारतीय टीम इसमें गत चैम्पियन के तौर पर खेल रही थी.
        
लेकिन इस हार के बाद जो विवाद भारतीय टीम से जुड़ा, वह भारतीय क्रिकेट इतिहास के भुलाने वाले अध्याय में शामिल हो गया. कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच बढ़ता विवाद खुले में आ गया जिसके बाद कुंबले को एक साल के सफल कार्यकाल के बाद इस्तीफा देने के लिये बाध्य होना पड़ा.
       
इस पूरे प्रकरण से हालांकि इस बार की फिर से पुष्टि हो गयी कि भारतीय टीम में केवल एक ही  बॉस  है और वो कप्तान है.
       
हालांकि कोहली-कुंबले ब्रेक-अप से टीम के मैदानी प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा और थोड़े ही समय में यह सामान्य हो गया तथा डेसिंग रूम में पसंदीदा रवि शास्त्री ने इस महान स्पिनर की जगह वापसी की.

मैदान के बाहर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने चार लोगों के साथ बीसीसीआई का काम शुरू किया लेकिन बाद में लोगों की संख्या घटकर दो हो गयी. रामचंद्र गुहा ने सीओए के काम करने के तरीके पर कड़वाहट भरा पत्र लिखकर असंतुष्टि व्यक्त करते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया.
        
मैदान में कप्तान के प्रदर्शन पर जरा भी असर नहीं पड़ा और उनका रनों का अंबार लगाना जारी रहा, जिसमें उन्होंने टेस्ट और वनडे में 11 शतक जुटाये जिसमें पांच दिवसीय प्रारूप में तीन दोहरे शतक शामिल थे.
         
रोहित शर्मा का भी चोट के बाद वर्ष शानदार रहा, उन्होंने सत्र में वनडे में तीसरा दोहरा शतक जड़ने के अलावा श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज के दौरान सबसे तेज शतक भी जड़ा.

साल की शुरूआत इंग्लैंड पर जीत से हुई लेकिन सीमित ओवरों की सीरीज की शुरूआत से पहले ही  एक धमाका  हुआ और यह फिर से महेंद्र सिंह धोनी ने किया. उन्होंने छोटे प्रारूप की कप्तानी से हटकर पूरे देश को हैरान कर दिया जैसे उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बीच में ही टेस्ट से संन्यास लेने का फैसला किया था. जिससे उनके उत्तराधिकारी कोहली को तीनों प्रारूपों की कमान सौंपी गयी.
        
कोहली की पहली बड़ी परीक्षा आस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की घरेलू सीरीज थी जिससे उन्होंने 2-1 से शानदार जीत दर्ज की. जैसा कि भारत-आस्ट्रेलिया के बीच मुकाबलों में होता है, भावनायें हमेशा ही हावी रहती हैं जिसमें दौरा कर रही टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ पर मेजबानों ने  धोखा करने  का आरोप लगाया जिन्होंने डीआरएस फैसले के संबंध में डेसिंग रूम की ओर इशारा किया था.
        
सीरीज में कोहली चोटिल होने के कारण धर्मशाला में चौथा टेस्ट नहीं खेल पाये थे जो 54 मैचों के बाद पहली बार हुआ था. अजिंक्य रहाणे ने उनकी अनुपस्थिति में अच्छा प्रदर्शन किया जिसमें टीम ने आठ विकेट से जीत दर्ज की और इसमें चाइनामैन कुलदीप यादव ने सफल पदार्पण किया.
        
इसके बाद दो महीने तक चला आईपीएल रहा जिसके बाद टीम सीधे चैम्पिंयस ट्राफी खेलने इंग्लैंड चली गयी. कोहली एंड कंपनी ने गत चैम्पियन के तौर पर अच्छा खेल दिखाया लेकिन फाइनल में हार गये.
        
इंग्लैंड के बाद टीम कुंबले के बिना वेस्टइंडीज गयी और उम्मीद के अनुरूप सीमित ओवर के मुकाबले में उसने जीत दर्ज की. भारत ने फिर उनकी मांद में श्रीलंका को धो दिया और पूरी सीरीज 9-0 से अपने नाम की.
         
अब टीम स्वदेश लौटी तथा उसे छोटे प्रारूप में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी मजबूत टीमों से भिड़ना था. मेजबानों को दोनों प्रतिद्वंद्वियों ने चुनौती दी लेकिन हर बार दबाव में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया.
        
हालांकि कार्यक्रम को दोषी ठहराईये भारत की अंतिम घरेलू सीरीज श्रीलंका के खिलाफ रही जिसे उन्होंने तीन महीने पहले ही रौंदा था. इससे क्रिकेट की अधिकता के विवाद ने फिर से तूल पकड़ा जिसकी शिकायत खुद कोहली ने की.
       
कप्तान कोहली और कोच शास्त्री अब दक्षिण अफ्रीका की चुनौती के लिये तैयार हैं.
        
कोच शास्त्री ने दक्षिण अफ्रीका जाने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कहा, वहां की परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण होंगी लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा कि ये डेढ़ साल भारतीय क्रिकेट को परिभाषित करेंगे, जिसमें दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के दौरे शामिल हैं. मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि अगले 18 महीनों में यह बेहतरीन भारतीय टीम होगी. 
 

 

भाषा


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