पाकिस्तान गेंदबाज अजमल को आज तक समझ नहीं आया कि सचिन को आउट क्यो नहीं दिया गया

Last Updated 30 Nov 2017 01:17:13 PM IST

पांच साल से अधिक बीत गए लेकिन पाकिस्तान के शीर्ष आफ स्पिनर सईद अजमल आज तक एक बात को लेकर दुविधा की स्थिति में है.


पाकिस्तान के शीर्ष आफ स्पिनर सईद अजमल (फाइल फोटो)

दरअसल अजमल को यह समझ में नहीं आया कि विश्व कप 2011 के सेमीफाइनल में अंपायरों ने सचिन तेंदुलकर को उनकी गेंद पर नाट आउट कैसे करार दिया था.

चालीस बरस के अजमल ने कल क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
     
मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल में तेंदुलकर ने 85 रन बनाये थे. अजमल ने उन्हें आउट किया था.
     
अजमल ने कहा, मैं आश्वस्त था कि वह पगबाधा आउट थे लेकिन आज तक मुझे समझ में नहीं आया कि अंपायरों ने उन्हें आउट क्यो नहीं दिया. उन्होंने स्वीकार किया कि भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजी करना आसान नहीं था.
     
उन्होंने कहा, तेंदुलकर एंड कंपनी को गेंदबाजी करना हमेशा कौशल और क्षमता का परीक्षण होता था.

अजमल ने आईसीसी की आलोचना की

पाकिस्तान के अनुभवी स्पिनर सईद अजमल ने भारी मन से क्रिकेट से संन्यास ले लिया लेकिन जाते जाते गेंदबाजी एक्शन के आकलन के आईसीसी के प्रोटोकाल की आलोचना भी की.
     
अपने सफल लेकिन विवादास्पद कैरियर में आफ स्पिनर अजमल ने 35 टेस्ट में 178 विकेट लिये. उन्होंने आखिरी टेस्ट 2014 में श्रीलंका के खिलाफ गाले में खेला जहां उनके गेंदबाजी एक्शन की दूसरी बार शिकायत की गई .
     
पहली बार 2009 में यूएई में आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे मैच के दौरान उनके एक्शन की शिकायत की गई थी .
     
अजमल ने कहा,  मैं आज क्रिकेट को अलविदा कह रहा हूं. अब युवा खिलाड़ियों को मौका देने का समय है .मुझे ऐसा लग रहा है कि घरेलू टीमों में भी मुझे बोझ माना जाने लगा है और मैं अपना सम्मान नहीं खोना चाहता . 
     
उन्होंने कहा,  मैं भारी मन से विदा ले रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है कि आईसीसी का प्रोटोकाल काफी कड़ा है. यदि आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे सभी गेंदबाजों का टेस्ट किया जाये तो कम से कम 90 प्रतिशत इसमें फेल हो जायेंगे. 
     
उन्होंने कहा कि यदि पीसीबी ने आईसीसी के सामने उनका पक्ष और मजबूती से रखा होता तो उन्हें संतोष होता. उन्होंने कहा, मेरे गेंदबाजी एक्शन को अवैध करार दिये जाने के बाद बोर्ड ने मेरा साथ दिया लेकिन आईसीसी के सामने इस प्रोटोकाल को चुनौती देकर वे मेरा पक्ष और मजबूती से रख सकते थे. 

भाषा


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