अनुराग ठाकुर ने फिक्सिंग करने वालों को कड़ी सजा देने संबंधी बिल किया पेश

Last Updated 02 May 2016 10:51:24 AM IST

लोकसभा सांसद और बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने तीन गैर सरकारी विधेयक सदन में पेश किया है. इनमें राष्ट्रीय खेल नैतिक आयोग विधेयक भी शामिल है.


(फाइल फोटो)

इसमें मैच फिक्सिंग में दोषी पाए जाने वाले प्लेयर्स को 10 साल जेल की सजा का प्रावधान शामिल है. राष्ट्रीय खेल नैतिक आयोग में जज समेत खेल जगत से जुड़ी हस्तियां होंगी. आयोग के पास सुनवाई और सजा निर्धाति करने का अधिकार होगा.

2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के चलते बीसीसीआई की छवि को काफी नुकसान हुआ था. ऐसे में ठाकुर का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लोकसभा में बिल पेश करने के बाद ठाकुर ने कहा कि खेल प्रेमियों के प्रति निष्पक्ष होने के लिए जवाबदेही की जरूरत है. फिलहाल मैच फिक्सिंग पर लगाम के लिए कोई कानून नहीं है. यह अनिवार्य है कि इससे लडऩे के लिए कानून हो.

फिक्सिंग रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर की एथिक्स बॉडी बनाने का प्रस्ताव है,जो डोपिंग और फिक्सिंग की रोकथान, उम्र संबंधी फर्जीवाड़ा व महिला खिलाडिय़ों के शोषण रोकने सहित अन्य मामलों को देखेगी.

ठाकुर ने कहा कि मौजूद समय में फिक्सिंग के दोषी प्लेयर्स को आईपीसी की जिन धाराओं के तहत सजा दी जाती है उससे वे बच निकलते हैं क्योंकि ये धाराएं खेल पर लागू नहीं होती हैं.

ठाकुर का बिल सदन में पारित हो जाता है तो खिलाड़ी पर न सिर्फ आजीवन प्रतिबंध लगेगा बल्कि उसे दस साल जेल की सजा भी होगी. साथ ही उसे रिश्वत की पांच गुना राशि जुर्माने के रूप में भरनी होगी. उम्र और लिंग संबंधी फर्जीवाड़ा करने पर छह महीने की जेल और एक लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा.

बिल में न सिर्फ खिलाडिय़ों बल्कि प्रशिक्षकों और खेल संघों के पदाधिकारियों के दोषी पाए जाने पर भी सजा का प्रावधान है. एक अन्य निजी बिल में संविधान में संशोधन कर खेल को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल करने की मांग की गई है.




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