घर में वापसी के लिये जोर लगाएंगे धोनी

Last Updated 11 Feb 2016 12:57:41 PM IST

ट्वंटी 20 सीरीज के दूसरे करो या मरो के मैच में कप्तान धोनी के गृह नगर रांची में उतरेगी तो उसे अपनी उम्मीदें बनाये रखने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा.


फाइल फोटो

पुणे की घसियाली पिच पर फिसली भारतीय टीम ‘अंडर डॉग’ कही जा रही श्रीलंकाई टीम के सामने खुद ही नौसिखिया साबित हुई और अब शुक्रवार को जब वह ट्वंटी 20 सीरीज के दूसरे करो या मरो के मैच में कप्तान धोनी के गृह नगर रांची में उतरेगी तो उसे अपनी उम्मीदें बनाये रखने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा.
       
बदलाव के दौर से गुजर रही और कई अनुभवी खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी में उतरी श्रीलंका की युवा टीम ने पहले मैच में भारतीय शेरों को जमकर पानी पिलाया और मेजबान 100 रन तक बामुश्किल से पहुंचे और मैच भी गंवाया. जाहिर है कि यह मैच विकप की तैयारियों में जुटी टीम इंडिया के लिये आंखे खोलने वाला साबित हुआ है और टीम के पास गलतियां सुधारने का मौका भी है. 
        
तीन मैचों की सीरीज में 0-1 से पिछड़ने के बाद अब भारत कप्तान धोनी के गृह नगर रांची में सीरीज बचाने के लिये उतरेगा. राहत की बात यह है कि टीम इंडिया पुणो की जिस घास वाली पिच पर पूरी तरह विफल हुई थी वहीं अब रांची में उसके सामने भूरी पिच होगी जहां घास बिल्कुल नहीं है और इससे क्षेत्ररक्षकों को कुछ दिक्कत हो सकती है. रांची की यह पिच काफी धीमी मानी जाती है और भारतीय खिलाड़यिों के खेलने के तरीके के कुछ अनुकूल है.

दिल्ली के फिरोजशाह कोटला से दूसरे मैच को स्थानांतरित कर रांची में कराया जा रहा है जिससे धोनी को अपने घर में खेलने का मौका मिल गया है. वह यहां की पिच को पहचानते हैं और उम्मीद की जा सकती है कि वह यहां की परिस्थितियों का फायदा उठा सकेंगे.

पिछले कुछ समय से अपनी निजी फार्म से जूझ रहे कप्तान ने पुणे की पिच की जमकर आलोचना की थी लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि टीम इंडिया ने पहले मैच में बेहद निराशाजनक बल्लेबाजी की थी जिसे हार की मुख्य वजह माना जाना चाहिये.
          
रोहित शर्मा, शिखर धवन, अजिंक्या रहाणे दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंच सके तो सर्वश्रेष्ठ फिनिशिर माने जाने वाले धोनी भी दो रन बनाकर आउट हुये. निचले क्रम में नये खिलाड़ी हार्दिक पांड्या और अनुभवी आलराउंडर रवींद्र जडेजा भी कोई अपवाद साबित नहीं हो सके.

भारतीय टीम के लिये पुणे के मैच में मिली हार ने मध्य और निचले क्रम की कमजोरियों को उजागर कर दिया है और एशिया और फिर विश्वकप से पहले इस दिशा में सुधार का अच्छा मौका है. आस्ट्रेलिया में ट्वंटी 20 सीरीज में 3-0 की क्लीन करने वाली टीम इंडिया के निचले क्रम को वैसे भी परखने का मौका नहीं मिला था.
         
भारत की इसी टीम को आगामी बड़े टूर्नामेंटों में खेलना है और तैयारी के लिहाज से जरूरी है कि प्रत्येक खिलाड़ी अपनी भूमिका को निभा सके. ओपनिंग क्रम में भारत के पास रोहित, धवन और रहाणो जैसे अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन मध्य और निचले क्रम में हमेशा से ही वह फिसड्डी साबित हुआ है। टीम में वापसी कर रहे अनुभवी आलराउंडर युवराज सिंह को मध्यक्रम की जिम्मेदारी को निभाना होगा जबकि रैना, हरभजन, पवन नेगी तथा रविचंद्रन अिन भी यह जिम्मेदारी निभाने में सक्षम है.

अश्विन ने पुणे में भी नौंवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुये नाबाद 31 रन की सर्वाधिक पारी खेली थी. उम्मीद यही है कि धोनी रांची में भी बड़े बदलावों के साथ नहीं उतरेंगे. यदि ऐसा होता है तो पांड्या खराब प्रदर्शन के बावजूद एक और मौका पा सकते हैं और इस स्थिति में नेगी को कुछ इंतजार करना पड़ सकता है.
        
अपने घर रांची में सबसे बड़े हीरो माने जाने वाले धोनी को देखने के लिये झारखंड क्रिकेट संघ को स्टेडियम के खचाखच भरे रहने की उम्मीद है और ऐसे में धोनी को भी खुद को साबित करना होगा. करियर के आखिरी दौर में पहुंच चुके धोनी के बल्ले में उतनी आक्रामकता दिखाई नहीं देती है. धोनी ने पुणे में जहां केवल दो रन बनाये वहीं आस्ट्रेलिया में तीन ट्वंटी 20 मैचों की सीरीज में उन्होंने 25 के निराशाजनक औसत से केवल 25 रन बनाये थे जिसमें 14 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर था. हालांकि भारत के सबसे सफल कप्तान हैरान करना जानते हैं.

 



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