एमसीए ने शाहरूख पर लगा प्रतिबंध हटाया, चव्हाण का समर्थन नहीं करेगा

Last Updated 02 Aug 2015 02:53:38 PM IST

मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) ने बॉलीवुड स्टार शाहरूख खान पर लगा लगभग तीन साल पुराना प्रवेश प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया.


बॉलीवुड स्टार शाहरूख खान

वहीं दिल्ली की अदालत के दागी खिलाड़ी अंकित चव्हाण को आपराधिक आरोपों से बरी करने के बावजूद उन पर लगे बीसीसीआई प्रतिबंध को चुनौती नहीं देने का फैसला किया.

दोनों फैसले यहां एमसीए बैठक में किए गए जहां उपाध्यक्ष आशीष शेलार प्रस्तावक थे.

शेलार ने यहां बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘रविवार को एमसीए की बैठक में फैसला किया गया कि आईपीएल की कोलकाता फ्रेंचाइजी के मालिक शाहरूख खान पर लगा प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए. हमारे अध्यक्ष शरद पवार की पूर्व स्वीकृति से मैंने प्रस्ताव रखा कि उन पर लगा प्रतिबंध हटना चाहिए और प्रबंध समिति ने सर्वसम्मति से इसे स्वीकृति दी. इस तरह वानखेड़े स्टेडियम में उनके प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है.’’

दिवंगत विलासराव देशमुख की अध्यक्षता वाली संघ की प्रबंधन समिति ने 18 मई 2012 को शाहरूख पर एमसीए परिसर में प्रवेश पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था जिसमें वानखेड़े स्टेडियम में प्रवेश भी शामिल था. इस फैसले से दो दिन पहले मुंबई इंडियन्स पर कोलकाता नाइट राइडर्स की जीत के दौरान शाहरूख के सुरक्षा स्टाफ और एमसीए अधिकारियों से भिड़ने के कारण यह प्रतिबंध लगाया गया था.

शाहरूख ने हालांकि दुर्व्यवहार से इनकार किया था और कहा था कि स्टेडियम के सुरक्षा स्टाफ के उनके बच्चों सहित अन्य बच्चों के साथ बुरा बर्ताव करने के बाद ही उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी.

शेलार ने कहा, ‘‘जब जरूरत थी तब उसके खिलाफ कार्रवाई की गई और हमें लगता है कि इसे आगे बढ़ाना सही नहीं होगा. पूरी प्रबंध समिति इससे सहमत थी. हमें लगता है कि किसी को इस तरह प्रतिबंधित करना सही नहीं लगेगा.’’

एमसीए सूत्रों ने बताया कि शाहरूख ने पवार को फोन करके प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था.

अन्य फैसलों में एमसीए ने चव्हाण पर लगे प्रतिबंध को चुनौती नहीं देने का फैसला किया. दिल्ली की अदालत ने पिछले महीने चव्हाण को आपराधिक आरोपों से बरी कर दिया था. शेलार ने कहा कि एमसीए ऐसे खिलाड़ी का साथ नहीं देगा जिसे बीसीसीआई की भ्रष्टाचार रोधी संहिता के तहत दोषी पाया गया है.

शेलार ने कहा, ‘‘मकोका के आरोपों से बरी हुए अंकित चव्हाण ने हमारे से आग्रह किया था कि हम बीसीसीआई को उन पर लगा प्रतिबंध हटाने के लिए मनाएं. लेकिन बीसीसीआई पहले ही एमसीए को ईमेल भेजकर इस मामले में तथ्यात्मक स्थिति रख चुका है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘एमसीए ने इसलिए फैसला किया कि वह अंकित के खिलाफ बीसीसीआई के फैसले को चुनौती नहीं देगा जो अनुशासन समिति की संहिता और भ्रष्टाचार रोधी संहिता के तहत लिया गया. इसलिए हमने उनके आग्रह को ठुकरा दिया. हमने सर्वसम्मति से फैसला किया कि ऐसे खिलाड़ी के खिलाफ कार्रवाई जारी रहनी चाहिए क्योंकि अदालत का आदेश सिर्फ मकोका पर आया है. खिलाड़ी ने बीसीसीआई के फैसले को चुनौती नहीं दी है तो फिर हम कैसे दें.’’

 



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