हितों के टकराव को लेकर श्रीनिवासन जवाबदेह:सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 24 Nov 2014 12:13:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल-6 में भ्रष्टाचार मामले पर मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को फटकार लगायी.


श्रीनिवासन

कोर्ट ने कहा कि हितों के टकराव पर उनकी जवाबदेही बनती है और वह इस मामले में खुद को अलग नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एम एफ इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने आईपीएल छह में फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले पर जांच कर रही सेवानिवृत्त न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुये कहा क्रिकेट सज्जनों का खेल है और उसे उसी भावना के साथ खेला जाना चाहिये.

यदि आप ‘बीसीसीआई और आईपीएल’ इस खेल में फिक्सिंग जैसी चीजों को होने देंगे तो आप क्रिकेट को ही नष्ट करेंगे.

अदालत ने बोर्ड के कामकाज से अलग किये गये एन श्रीनिवासन को कहा कि उनकी टीम के कुछ लोग सट्टेबाजी में संलिप्त थे और इसलिये उनकी जवाबदेही बनती है.

सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन के लिये कहा आपको हितों के टकराव के सवालों का जवाब देना होगा क्योंकि आप बीसीसीआई के अध्यक्ष भी हैं और आईपीएल की टीम के मालिक भी हैं जिसके अधिकारी भ्रष्टाचार में शामिल पाये गये हैं. ऐसे में आप इस मामले से खुद को अलग नहीं कर सकते हैं.

इससे पहले जस्टिस मुद्गल कमेटी ने अपने रिपोर्ट में श्रीनिवासन और उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन को आईपीएल फिक्सिंग के आरोपों से बरी कर दिया था.

श्रीनिवासन ने कोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में दावा किया है कि आईपीएल-6 केस में न्यायमूर्ति मुकल मुद्गल समिति की रिपोर्ट में उनके खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ कुछ नहीं है.

इसी के साथ, इंडिया सीमेन्ट्स ने भी न्यायालय से कंपनी के खिलाफ ऐसा कोई भी प्रतिकूल आदेश नहीं देने का अनुरोध किया है, जिससे चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी रद्द होने की नौबत आ जाए. श्रीनिवासन इस कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं.

श्रीनिवासन, जिन्होंने समिति की अंतिम रिपोर्ट पर एक हलफनामे में अपनी आपत्तियां दाखिल की हैं, ने कहा है कि उनका मानना है कि रिपोर्ट के निष्कर्ष में उनके खिलाफ लगाए गए सारे आरोपों के प्रति उनके इस नजरिये को सही ठहराया है कि उनके खिलाफ लगाये गए आरोप ‘पूरी तरह झूठे, निराधार और दुर्भावना से प्रेरित थे.

बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष ने समिति के इस निष्कर्ष को चुनौती दी है कि उन्होंने तथा बोर्ड के चार अन्य अधिकारियों ने व्यक्ति-3 ‘खिलाड़ी’ के कदाचार की जानकारी होने के बावजूद उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की.

उन्होंने कहा है कि तत्कालीन अध्यक्ष ने इस मसले पर गौर किया था और कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

उन्होंने न्यायालय से अनुरोध कया है कि उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष का पद ग्रहण करने की अनुमति दी जाए, जिससे वह लगभग एक साल से अलग हैं.

 

 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment