मुद्गल समिति की जांच पूरी होने तक बीसीसीआई अध्यक्ष पद न संभालें श्रीनिवासन:कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एन श्रीनिवासन न्यायमूर्ति मुद्गल समिति के क्लीन चिट दिये जाने तक बीसीसीआई के अध्यक्ष का पद संभालने की अनुमति नहीं दी जायेगी.
उच्चतम न्यायालय |
गौरतलब है कि यह समिति आईपीएल सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग कांड की जांच कर रही है.
समिति श्रीनिवासन और 12 खिलाड़ियों की भूमिका की जांच कर रही है.
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने जांच की रफ्तार पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुये उसे दो महीने के भीतर अपना काम पूरा करने का निर्देश दिया है.
न्यायालय ने श्रीनिवासन या जांच के दायरे में आये किसी अन्य पदाधिकारी के बारे में अंतरिम रिपोर्ट भी दाखिल करने की अनुमति जांच समिति को प्रदान कर दी है.
न्यायालय ने श्रीनिवासन का यह अनुरोध ठुकरा दिया कि उन्हें बोर्ड की वार्षिक आम सभा की बैठक में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने दिया जाये. उनका कहना था कि बोर्ड के वार्षिक खातों को मंजूरी देने के लिये उनके हस्ताक्षर जरूरी हैं.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘लेखा पुस्तकों पर हस्ताक्षर करना है. यह बहाली का आधार नहीं हो सकता हैं.’
इस मामले में सुनवाई शुरू होते ही श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय से यह बताने का अनुरोध किया कि क्या न्यायमूर्ति मुद्गल की अंतरिम रिपोर्ट में उनके खिलाफ कुछ है. उनका कहना था यदि उनके खिलाफ कुछ नहीं है तो फिर उन्हें बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने की अनुमति दी जानी चाहिए.
न्यायालय ने कहा कि इस रिपोर्ट में श्रीनिवासन के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गयी है लेकिन जांच अभी भी जारी है और ऐसी स्थिति में उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
न्यायालय ने कहा कि जांच समति ने कुछ और समय देने का अनुरोध किया है क्योंकि वह इंग्लैंड के दौरे पर गयी टीम के कुछ खिलाड़ियों के बयान रिकार्ड करना चाहती है और कुछ व्यक्तियों की आवाज के नमूनों के मिलान की आवश्यकता है.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमने रिपोर्ट देखी है. जांच पूरी करने के लिये दो महीने का समय तर्कसंगत नहीं लगता है. जिस तरह से सब कुछ हो रहा है उससे तो यही लगता है कि इसमें पांच साल लगेंगे. समिति के लिये यह चुनौती भरा काम है.’
न्यायालय ने अब इस मामले को सुनवाई के लिये दो नवंबर को सूचीबद्ध किया है लेकिन साथ ही जांच समिति को यदि आवश्यक तो अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने की भी अनुमति दे दी है.
न्यायमूर्ति मुद्गल समिति ने 29 अगस्त को सीलबंद लिफाफे में अपनी अंतरिम रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी. यह समिति आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण के सिलसिले में श्रीनिवासन और 12 खिलाड़ियों की जांच कर रही है.
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