आनलाइन प्रतियोगिताओं के साथ शतरंज ने कोरोना लॉकडाउन से अच्छी तरह सामंजस्य बैठाया: आनंद

Last Updated 21 Apr 2020 02:26:19 PM IST

पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद का मानना है कि आनलाइन माध्यम का सहारा लेकर शतरंज दुनिया भर में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से काफी अच्छी तरह सामंजस्य बैठाने में सफल रहा है।


विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद (फाइल फोटो )

आनंद ने साथ ही कहा कि दो महीने से जर्मनी में फंसे होने के कारण वह भी आनलाइन माध्यम से ही अपने परिवार के संपर्क में हैं।

आनंद बुंदेसलीगा शतरंज में एससी बादेन की ओर से खेलने के लिए फरवरी में जर्मनी गए थे। कोराना वायरस महामारी के कारण हालांकि यात्रा संबंधित पाबंदियों के कारण वह स्वदेश वापस नहीं लौट सके।

फ्रेंकफर्ट के समीप रह रहे आनंद ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि जर्मनी में स्थिति काफी सहज है। मैं छोटे शहर में हूं। मुझे एक दो बार बाहर चहलकदमी करने का मौका मिला... बेशक, सुरक्षित दूरी बनाते हुए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही मैंने कुछ खरीददारी की और जरूरी सामान भी खरीदा। मेरे कुछ मित्र करीब ही रहते हैं और यह बड़ा फायदा है।’’

आनंद का मानना है कि शतरंज अब तक वैश्विक लॉकडाउन से काफी अच्छी तरह निपटने में सफल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी को नहीं पता कि इसका (कोविड-19 का) अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। सबसे पहले शतरंज की बात करते हैं। पहले ही इंटरनेट पर काफी शतरंज होता था। इसलिए पूरी तरह से आनलाइन प्रक्रिया से सामंजस्य बैठाना तुलनात्मक रूप से आसान रहा। ’’

इस 50 वर्षीय दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, ‘‘इसके बावजूद यह थोड़ा स्तब्ध करने वाला है कि इतने सारे टूर्नामेंट रद्द हो गए और सभी घर में बैठे हैं। इंटरनेट पर शतरंज खेलना काफी मजेदार होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन शतरंज के टूर्नामेंट के आनलाइन आयोजन के लिए कुछ कौशल की जरूरत होती है। अधिकारी कहां बैठेंगे। आप कैसे चीजों की निगरानी करेंगे आदि। इसके बावजूद शतरंज ने तुलनात्मक रूप से आसानी से सामंजस्य बैठाया है।’’

इतने लंबे समय से परिवार से दूर रहते हुए वह कैसे रह रहे हैं इस बारे में पूछने पर आनंद ने कहा कि वह सकारात्मक रहने का प्रयास कर रहे हैं और अपने खेल के उन पहलुओं को समय दे रहे हैं जिनकी उन्होंने पहले अनदेखी की थी।

चेन्नई के इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि वह कुल मिलाकर काफी सहज स्थिति में हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जर्मनी में कोरोना वायरस का काफी प्रकोप नहीं है क्योंकि यहां मृतकों की संख्या काफी कम है। यहां लोग सहज नजर आ रहे हैं। एकमात्र समस्या यह है कि मैं अपने परिवार से कट गया हूं लेकिन इसके अलावा मैं यहां ठीक हूं।’’

भाषा
चेन्नई


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