हमेशा प्रज्जवलित रहने वाली ओलंपिक मशाल चार साल पहले बुझ चुकी है: अधिकारी
1964 की मशाल वास्तव में चार वर्ष पहले ही बुझ चुकी है जबकि इसे हमेशा प्रज्जवलित रहना था. यह तथ्य आज ही सामने आया जब शर्मिदा अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया.
फाइल फोटो |
जापान के दक्षिण पश्चिमी शहर कागोशीमा के खेल प्रशिक्षण परिसर में लगाई गई इस मशाल को ओलंपिक अक्षय मशाल कहा जाता है और यह वर्ष 1964 में हुए ओलंपिक की है. यह मशाल तब खबरों में आई थी जब जापान को 2020 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी मिली थी.
लेकिन अब पता चला है कि मशाल नवंबर 2013 में बुझ गई थी. इसके दो ही महीने पहले तोक्यो को खेलों की मेजबानी मिली थी. तब जल्दबाजी में मशाल को फिर से प्रज्जवलित किया गया. खेल परिसर के प्रमुख ने यह बताया.
एक अधिकारी ने कहा, उस वक्त मैं ऐसा कुछ नहीं कह सकता था जो लोगों के सपनों को तोड़ दे. मैंने अपनी आंखों से 21 नवंबर को मशाल को बुझते देखा था. हमने उसे फिर से जलाया और यह दो हफ्तों तक चली.
यहां अब एक अन्य मशाल है जिसे मैग्निफाइंग ग्लास और सूर्य की रोशनी की मदद से दिसंबर 2013 में प्रज्जवलित किया गया था.
ओलम्पिक ज्वाला या ओलम्पिक मशाल ओलम्पिक खेलों का एक प्रतीक है. दर्पण की मदद से सूर्य की किरणों की तेज से प्रज्जवलित होने वाली यह मशाल ओलंपिक खेलों के आगाज से महीनों पहले अपनी यात्रा खत्म कर मेजबान शहर में पहुंचती है.
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