विकास फाइनल में हारे, एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक मिला
भारतीय मुक्केबाज विकास कृष्ण (75 किग्रा) को कड़ी चुनौती पेश करने के बावजूद एशियाई चैम्पियनशिप के खिताबी मुकाबले में उज्बेकिस्तान के बेकतेमीर मेलिकुझिएव के हाथों शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा.
विकास फाइनल में हारे |
भारत के तेईस साल के मुक्केबाज को मौजूदा युवा ओलंपिक चैम्पियन के खिलाफ 0-2 से हार झेलनी पड़ी.
विकास के रजत पदक के अलावा भारत ने प्रतियोगिता में तीन कांस्य पदक भी जीते. भारत के लिए एल देवेंद्रो सिंह :49 किग्रा:, शिव थापा (56 किग्रा) और सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) ने कांस्य पदक जीते. इसके अलावा प्रतियोगिता से छह भारतीय मुक्केबाज अगले महीने होने वाली वि चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहे जो अगले साल होने वाले ओलंपिक की पहली क्वालीफाइंग प्रतियोगिता है.
राष्ट्रीय कोच गुरबक्श सिंह संधू ने कहा, ‘‘मैं प्रदर्शन से काफी खुश हूं क्योंकि छह मुक्केबाज वि चैम्पियनशिप में जगह बनाने में सफल रहे लेकिन अगर स्वर्ण पदक आता तो और बेहतर होता. विकास ने शानदार प्रदर्शन किया और यह निराशाजनक है कि वह जीत नहीं पाया.’’
शनिवार के मुकाबले में दोनों मुक्केबाज पहले दौर में अलग रणनीति के साथ उतरे. मेलिकुझिएव ने जहां आक्रामक रवैया अपनाया और आक्र मण करने की कोशिश की वहीं विकास ने रक्षात्मक रवैया अपनाया और खुद को बचाने की कोशिश की.
मेलिकुझिएव ने अपने दमदार मुक्कों की बदौलत पहला दौर जीत लिया. दूसरे दौर में विकास ने आक्रामक रवैया अपनाया जबकि उज्बेकिस्तान का मुक्केबाज पहले दौर की तुलना में अधिक मुक्के नहीं जड़ पाया. मेलिकुझिएव हालांकि अपनी तेजी की बदौलत दूसरा दौर भी जीतने में सफल रहे लेकिन इसका उन्हें फायदा नहीं मिला क्योंकि अधिक झुकने के लिए चेतावनी के कारण उनका अंक काट लिया गया.
अंतिम दौर में विकास ने आक्रामक रवैया अपनाया लेकिन मेलिकुझिएव कुछ सतर्कता के साथ खेले. अंतिम तीन मिनट में कड़ा मुकाबला देखने को मिला लेकिन जजों ने मेलिकुझिएव को विजेता घोषित किया.
कुल मिलाकर 2013 के पिछले टूर्नामेंट की तुलना में भारत के पदकों की संख्या तो कम नहीं हुई लेकिन टीम को इस बार एक भी स्वर्ण पदक नहीं मिला.
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