दुनिया छोड़ने से पहले एथलेटिक्स में ओलंपिक गोल्ड देखना चाहता हूं: मिल्खा
उडन सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह को रोम ओलंपिक में स्वर्ण पदक चूक जाने का आज भी गहरा अफसोस है.
मिल्खा सिंह ने दिल्ली में क्रांतिकारी बहु खेल फिटनेस कार्यक्रम मिल्खा स्योर फिट लांच किया. |
उनका एक ही सपना है कि दुनिया छोड़ने से पहले वह किसी भारतीय एथलीट को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतते हुए देखें.
86 वर्षीय मिल्खा ने बुधवार को दिल्ली में क्रांतिकारी बहु खेल फिटनेस कार्यक्रम मिल्खा स्योर फिट लांच करने के बाद संवाददाताओं से कहा, मुझे दौडे हुये 60 साल गुजर चुक हैं लेकिन 120 करोड़ की आबादी में हम एक और मिल्खा नहीं पैदा कर पाये, इसका मुझे गहरा अफसोस है. भारत ओलंपिक में बैडमिंटन, मुक्केबाजी, कुश्ती, टेनिस और निशानेबाजी जैसे खेलों में काफी ऊपर आया है लेकिन पिछले 65 वर्षों में एथलेटिक्स में हम एक भी ऐसा एथलीट तैयार नहीं कर पाये हैं जो ओलंपिक में पदक जीत सके.\'\'
उडन सिख ने कहा, दुनिया छोड़ने से पहले मेरा एक ही सपना है कि रोम ओलंपिक में जो स्वर्ण मेरे हाथ से फिसल गया था उसे कोई भारतीय पुरूष या महिला एथलीट मेरे जीते जी जीत ले तो मुझे बहुत खुशी होगी.\'\'
लीजेंड एथलीट ने कहा, भारतीय एथलेटिक्स इतिहास में मेरे सिवाय गुरबचन रंधावा, राम सिंह, पीटी ऊषा और अंजु जार्ज पांच ही ऐसे एथलीट हुये हैं जिन्हें ओलंपिक में फाइनल में पदक के करीब पहुंचने का मौका मिला था लेकिन दुर्भाग्य यही रहा कि हम पदक नहीं जीत पाये.\'\'
पदक न जीत पाने का कारण बताते हुये मिल्खा ने कहा, यहां सब कुछ है सरकार सुविधाएं देती है, स्टेडियम हैं, उपकरण हैं लेकिन इच्छाशक्ति की भारी कमी है. ओलंपिक में पदक विजेता बनने के लिये तीन एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा. एक खिलाड़ी जिसे पदक विजेता बनना है, दूसरा कोच जिसे इमानदार होना है तीसरा एसोसिएशन जिसे अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना है. जब ये तीन एजेंसियां मिलकर काम करेंगी तभी जाकर हम ओलंपिक में पदक जीत पायेंगे.\'\'
उन्होंने एथलेटिक्स को खेलों में सर्वोत्तम बताते हुये कहा, इसे नजरअंदाज होने के पीछे मीडिया की भी भूमिका है जो सिर्फ क्रिकेट के पीछे भागता है और क्रिकेट को ही छापता है. इसके कारण देश का युवा अन्य खेलों को छोड़कर क्रिकेट के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है. एथलेटिक्स दुनिया का नंबर वन खेल है और मीडिया इसे अच्छी तरह दिखाये तो युवाओं का ध्यान भी इस तरफ आकर्षित हो सकता है.\'\'
उडन सिख ने कहा कि वह चाहते हैं कि हिन्दुस्तान का हर बालक फिट हो क्योंकि यदि बालक फिट होगा तो वह जीवन में सफलतापूर्वक आगे बढ़ पायेगा और उसके साथ-साथ देश भी फिट हो पायेगा.
इस अवसर पर स्योर फिट के संस्थापक और सीईओ अमित दुबे ने बताया कि यह कार्यक्रम चार से 17 वर्ष के बालको के लिये है और इसे देश भर के स्कूलों में ले जाकर प्रतिभाशाली खिलाडियों की पहचान की जायेगी ताकि देश को भाविष्य के चैंपियन मिल सकें. इस कार्यक्रम की फिलहाल दिल्ली एनसीआर में इस वर्ष से शुरूआत हो रही है.
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