मुक्केबाजी में सतीश कुमार को कांस्य पदक
भारतीय मुक्केबाज सतीश कुमार को इंचियोन में सुपर हैवीवेट (91 किग्रा से अधिक) वर्ग के सेमीफाइनल में हार के साथ कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा जो मौजूदा एशियाई खेलों में भारत का 51वां पदक है.
मुक्केबाजी |
सतीश को एकतरफा मुकाबले में कजाखस्तान के इवान डाइचको ने सभी तीन राउंड में 3-0 से पछाड़ा.
सतीश के पास लंदन ओलंपिक के कांस्य और ग्वांग्झू एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता छह फुट नौ इंच लंबे कजाखस्तान के मुक्केबाज का कोई जवाब नहीं था.
डाइचको ने सतीश के खिलाफ अपने लंबे हाथों का शानदार तरीके से इस्तेमाल किया और छह फुट दो इंच लंबे भारतीय मुक्केबाज के खिलाफ दबदबा बनाए रखा. सतीश को डाइचको को मुक्के जड़ने में परेशानी हुई जो अपने तेज फुटवर्क से आसानी से भारतीय मुक्केबाज के मुक्कों से बचने में सफल रहे.
डाइचको ने प्रत्येक राउंड में अपने बायें मुक्के से भारतीय मुक्केबाज के चेहरे पर घूंसे जड़ते हुए अंक जुटाए.
बुलंदशहर के मुक्केबाज सतीश ने मुकाबले के बाद कहा, ‘‘उसको लंबाई से काफी फायदा मिला और मैं उसके पास नहीं जा पाया. वह ओलंपिक खेलों का पदक विजेता है और मैं पिछली विश्व चैम्पियनशिप में भी उससे हार गया था. मेरे कोचों को लगता है कि आज मैंने विश्व चैम्पियनशिप की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया. एशियाई खेलों की मुक्केबाजी स्पर्धा में पदक जीतने वाला उत्तर प्रदेश का पहला खिलाड़ी बनने की मुझे खुशी है.’’
सतीश के बाहर होने के बाद मुक्केबाजी में अब भारत की उम्मीदें सिर्फ विकास कृष्णन (75 किग्रा) पर टिकी हैं. विकास 2010 ग्वांग्झू एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक की अपनी उपलब्धि को दोहराने की कोशिश करेंगे.
मुक्केबाज यहां 2010 (दो स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य) के अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लक्ष्य के साथ आए थे लेकिन सिर्फ पांच पदक के साथ लौटेंगे. अब तक एमसी मैरीकोम के स्वर्ण के अलावा भारत ने तीन कांस्य पदक जीते हैं. विकास को आज सेमीफाइनल मुकाबले में चुनौती पेश करनी है.
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