एशियाड में पदक जीतकर फार्म में वापसी करना चाहती हैं दीपिका
ओलंपिक 2012 की निराशाजनक यादों को भुलाकर दीपिका कुमारी आगामी इंचियोन एशियाई खेलों में पदक जीतकर अपनी फार्म में वापसी करना चाहती हैं.
भारतीय तीरंदाज दीपिका कुमारी (फाइल फोटो) |
लंदन में दीपिका को भारत की पदक की सबसे बड़ी उम्मीद माना जा रहा था लेकिन दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका महिला व्यक्तिगत रिकर्व के पहले राउंड में ही बाहर हो गयी थी.
दीपिका से इसके बारे में बात करते हुए उसने कहा कि वह दुस्वप्न अब भी उसका पीछा नहीं छोड़ रहा और वह इस हताशा की भरपायी के लिये इंतजार नहीं कर सकती.
दीपिका ने दक्षिण कोरिया में कहा, \'\'लंदन मेरे लिये बहुत बड़ी निराशा थी. लंदन ओलंपिक में मुझसे काफी उम्मीदें लगी हुई थीं क्योंकि मैं दुनिया की नंबर एक तीरंदाज थी. मैं नहीं जानती कि उस दिन क्या हुआ लेकिन मैं अपने स्तर के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी.\'\'
उन्होंने कहा, \'\'लंदन के बाद एशियाई खेल सबसे बड़ी खेल स्पर्धा है और में निश्चित रूप से लंदन के दुस्वप्न को भुलाने के लिये अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करूंगी और इंचियोन में पदक जीतूंगी.\'\'
दक्षिण कोरियाई शहर में पदक दीपिका को सिर्फ लंदन दुस्वप्न को भुलाने में ही मदद नहीं मिलेगी बल्कि इससे उनका एशियाई खेलों का व्यक्तिगत पदक का मिथक भी खत्म हो जायेगा. दीपिका को 2010 ग्वांग्झू खेलों में महिला रिकर्व टीम स्पर्धा में कांस्य पदक मिला थ लेकिन वह व्यक्तिगत कांस्य से करीब से चूक गयी थीं.
तीन बार की विश्व कप रजत पदक विजेता ने कहा, \'\'मैंने सिर्फ एक एशियाई खेलों में भाग लिया था जिसमें मैंने टीम कांस्य जीता था. लेकिन मैं निश्चित रूप से इंचियोन में व्यक्तिगत पदक जीतने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगी.\'\'
लंदन ओलंपिक के बाद दीपिका ने स्वीकार किया था कि दबाव उन पर भारी पड़ा था. लेकिन उन्होंने कहा कि अब वह दबाव भरे हालात से निपटने के लिये बेहतरीन स्थिति में हैं. उन्होंने कहा, \'\'मुझे स्वीकार करना होगा कि लंदन में मैं दबाव में आ गयी थी और निश्चित रूप से यहां भी मुझ पर दबाव होगा.\'\'
दीपिका ने कहा, \'\'एक एथलीट झूठ बोल रहा है, अगर वह कहता है कि उसे किसी बड़ी प्रतियोगिता से पहले दबाव महसूस नहीं होता. हर किसी पर दबाव होता है लेकिन मुख्य चीज है कि आप इससे किस तरह से निपटते हो ताकि इससे आपके प्रदर्शन पर असर नहीं पड़े.\'\'
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