20वें कॉमनवेल्थ गेम्स बुधवार से, भारत की नजरें टॉप तीन पर

Last Updated 23 Jul 2014 10:59:48 AM IST

स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में बुधवार से 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत हो रही है.


ग्लास्गो CWG (फाइल फोटो)

हर बार की तरह इस बार भी 71 देश के बीच ज्यादा से ज्यादा मेडल हासिल करने की जोर आजमाइश होगी. वहीं भारत के सामने पिछले दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के शानदार प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती होगी. इन खेलों में भारत का 215 सदस्यीय दल भाग ले रहा है, जो शीर्ष तीन में जगह बनाना चाहेगा.

भ्रष्टाचार के आरोपों और तैयारियों में विलंब के आरोपों से घिरे दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में भारत रिकॉर्ड 101 पदक जीतकर ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर रहा था. तमाम विवादों के बावजूद दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन और खिलाड़ियों के प्रदर्शन के मामले में बेहद कामयाब रहे थे.

71 देशों के बीच मेडल के लिए जोर आजमाइश

दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद भारत ने 2010 ग्वांग्झू एशियाई खेलों में भी रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए 65 पदक जीते. दो साल बाद लंदन में भारत ने छह पदक जीते. ग्लास्गो में भारत का लक्ष्य शीर्ष तीन में रहना होगा क्योंकि अव्वल नंबर पर ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड के रहने की संभावना है. इन खेलों में ब्रिटिश उपनिवेश रहे 71 देशों के 4500 खिलाड़ी पदकों के लिए भिड़ेंगे जिनमें फर्राटा सुपरस्टार उसैन बोल्ट और मध्यम तथा लंबी दूरी के धावक इंग्लैंड के मो. फराह आकर्षण का केंद्र होंगे.

ओलंपिक और एशियाई खेलों के बाद तीसरे सबसे बड़े खेल आयोजन में 11 दिन तक 18 खेलों में 261 पदक दांव पर होंगे. इसमें परा खेलों में पांच विधाओं में 22 स्वर्ण दांव पर लगे होंगे. भारत ने 14 खेलों में 215 खिलाड़ी भेजे हैं जो दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद उसका सबसे बड़ा दल है. ग्लास्गो खेलों में तीरंदाजी और टेनिस के नहीं होने से भारत की पदक उम्मीदों को झटका लगा है जबकि निशानेबाजी और कुश्ती में भी पदक स्पर्धाएं कम हुई हैं.

11 दिन तक 18 खेलों में 261 मेडल होंगे दांव पर

भारत ने 2010 में तीरंदाजी में 12 पदक जीते थे जबकि निशानेबाजी की उन 18 स्पर्धाओं में 14 पदक हासिल कि थे जो इस बार खेलों का हिस्सा नहीं हैं. कुश्ती में ग्रीको रोमन वर्ग इस बार नहीं है जिसमें भारत ने 2010 में आठ पदक जीते थे. निशानेबाजी में भारत को 2010 में कुल 30 पदक मिले थे लेकिन इस बार अधिकांश निशानेबाज सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं हैं. भारत की पदक संख्या 101 (38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 कांस्य) से घट सकती है लेकिन 60 से ऊपर रहना भी उपलब्धि मानी जाएगी.

CWG 2010 में भारत ने जीते थे 101 मेडल

भारत के लिए ग्लास्गो में इंग्लैंड से ऊपर दूसरे स्थान पर रहना असंभव होगा. भारत ने 2010 में इंग्लैंड से एक स्वर्ण अधिक लेकर दूसरा स्थान हासिल किया था हालांकि इंग्लैंड के भारत से 31 पदक अधिक थे. इंग्लैंड ने 2010 में अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम भी नहीं भेजी थी क्योंकि 2012 में लंदन में ओलंपिक होने थे. तीसरे स्थान के लिए भारत का मुकाबला कनाडा से होगा जिसने 265 सदस्यीय दल भेजा है. कनाडा को ग्रीको रोमन कुश्ती के हटने से नुकसान होगा.

वहीं अपनी सरजमीं पर तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी कर रहा स्काटलैंड भी घरेलू दर्शकों के सामने अच्छा प्रदर्शन करना चाहेगा. कॉमनवेल्थ देशों की कुल दो अरब आबादी में से आधे से अधिक भारत की आबादी है जिसकी टीम में पिछले खेलों के करीब 30 पदक विजेता फिर हैं. इनमें अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजेंदर सिंह, सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, कृष्णा पूनिया, आशीष कुमार, अचंत शरत कमल प्रमुख हैं. एक बार फिर भारत की उम्मीदों का दारोमदार निशानेबाजों पर ही होगा.

दिल्ली में 101 में से 30 पदक निशानेबाजों ने दिलाए थे और इस बार भी भारतीयों की नजरें बिंद्रा, नारंग, विजय कुमार और हिना सिद्धू पर रहेंगी. कुश्ती से भी भारत को अच्छे पदक मिलने की उम्मीद है जिसमें अगुआई ओलंपिक पदक विजेता सुशील और योगेश्वर करेंगे. दोनों हालांकि नए भारवर्ग (74 किलो और 65 किलो) में उतरेंगे. एथलेटिक्स में भारत को पिछली बार दो स्वर्ण समेत 12 पदक मिले थे.



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