एरियन-5 रॉकेट के जरिए संचार उपग्रह जीसैट-18 का कोउरू से सफल प्रक्षेपण

Last Updated 06 Oct 2016 09:19:37 AM IST

भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट..18 का फ्रेंच गुयाना में कोउरू के अंतरिक्ष केंद्र से एरियनस्पेस रॉकेट के जरिए गुरूवार को सफल प्रक्षेपण किया गया.


(फाइल फोटो)

यह प्रक्षेपण पहले बुधवार को किया जाना था लेकिन कोउरू में मौसम खराब होने के कारण इसे 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था.

कोउरू दक्षिणी अमेरिका के पूर्वोत्तर तट स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित जीसैट-18 इसरो के 14 संचालित उपग्रहों के बेड़े को मजबूत कर भारत के लिए दूरसंचार सेवाएं प्रदान करेगा.

गुरूवार को मौसम साफ होने के साथ ही एरियन-5 वीए-231 भारतीय समयानुसार तड़के करीब दो बजे रवाना हुआ तथा जीसैट-18 को लगभग 32 मिनट की उड़ान के बाद कक्षा में भेज दिया.

उपग्रह जीओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया गया.

बेंगलूरू में मुख्यालय रखने वाले इसरो ने मिशन के बाद घोषणा की, ‘जीसैट-18 को फ्रेंच गुयाना के कोउरू से एरियन-5 वीए-231 के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया’.

जीसैट-18 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला इसरो का 20वां उपग्रह है और एरियनस्पेस प्रक्षेपक के लिए यह 280वां मिशन है.

अपने भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एरियन-5 रॉकेट पर निर्भर इसरो इस उद्देश्य के लिए जीएसएलवी एमके-3 विकसित कर रहा है.

प्रक्षेपण के समय 3,404 किलोग्राम वजन रखने वाला जीसैट-18 नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और केयू बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है.

उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए एरियनस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन इसाइल ने ट्वीट किया, ‘हमें इसरो के साथ अपने मजूबत संबंधों पर गर्व है. आज रात 20वां उपग्रह भेजा. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए प्रक्षेपित. बधाई’.

मिशन नियंत्रण केंद्र से प्रक्षेपण पर नजर रखने वाले इसरो अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने अपने संदेश में कहा, ‘मैं एरियन-5 वीए-231 की गौरवशाली तथा त्रुटिरहित उड़ान को देखकर प्रसन्न हूं जो जीसैट-18 और स्काईमस्टर-2 को सफलतापूर्वक ले गया.

पूर्व के सभी अवसरों की तरह एरियनस्पेस ने हमें एक शानदार उड़ान उपलब्ध कराई’.

इन बैंडों में परिचालित उपग्रहों पर सेवा निरंतरता उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया जीसैट-18 उपग्रह करीब 15 साल के सेवा मिशन पर गया है.

जीटीओ में जीसैट-18 के प्रक्षेपण के साथ ही कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो के प्रमुख नियंत्रण केंद्र (एमसीएफ) ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया और यह केंद्र उपग्रह की लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) के जरिए इसे वृत्ताकार भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित कर इसकी कक्षा बदलने का काम करेगा.

इसरो ने कहा कि इसके बाद, सौर पैनल और एंटीना जैसे उपकरणों की तैनाती तथा उपग्रह का त्रि-अक्ष स्थिरीकरण करने का कार्य किया जाएगा.

जीसैट-18 को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर में तथा अन्य परिचालित उपग्रहों के साथ सह स्थापित किया जाएगा.

जीसैट-18 का सह यात्री स्काई मस्टर-2 खास तौर पर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल अंतराल को पाटने के लिए है.

इसका निर्माण पालो आल्टो, कैलिफोर्निया सहित एसएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) ने किया है.

उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए एरियनस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन इसाइल ने ट्वीट किया, ‘हमें इसरो के साथ अपने मजूबत संबंधों पर गर्व है. आज रात 20वां उपग्रह भेज. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए प्रक्षेपित. बधाई’.

मिशन नियंत्रण केंद्र से प्रक्षेपण पर नजर रखने वाले इसरो अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने अपने संदेश में कहा, ‘मैं एरियन-5 वीए-231 की गौरवशाली तथा त्रुटिरहित उड़ान को देखकर प्रसन्न हूं जो जीसैट-18 और स्काईमस्टर-2 को सफलतापूर्वक ले गया. पूर्व के सभी अवसरों की तरह एरियनस्पेस ने हमें एक शानदार उड़ान उपलब्ध कराई’.

इन बैंडों में परिचालित उपग्रहों पर सेवा निरंतरता उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया जीसैट-18 उपग्रह करीब 15 साल के सेवा मिशन पर गया है.

जीटीओ में जीसैट-18 के प्रक्षेपण के साथ ही कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो के प्रमुख नियंत्रण केंद्र (एमसीएफ) ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया और यह केंद्र उपग्रह की लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) के जरिए इसे वृत्ताकार भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित कर इसकी कक्षा बदलने का काम करेगा.

इसरो ने कहा कि इसके बाद, सौर पैनल और एंटीना जैसे उपकरणों की तैनाती तथा उपग्रह का त्रि-अक्ष स्थिरीकरण करने का कार्य किया जाएगा.

जीसैट-18 को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर में तथा अन्य परिचालित उपग्रहों के साथ सह स्थापित किया जाएगा.

जीसैट-18 का सह यात्री स्काई मस्टर-2 खास तौर पर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल अंतराल को पाटने के लिए है. इसका निर्माण पालो आल्टो, कैलिफोर्निया सहित एसएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) ने किया है.

कुमार ने कहा कि जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण के बाद अगले कदम के तहत इसे इसकी कक्षा में स्थापित करने से पहले कई अन्य कार्य किए जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं और भारत में हमारी टीम हासन में मुख्य नियंत्रण केंद्र में मिशन के अभियानों पर काम कर रही है’.

इसरो के प्रमुख ने कहा, ‘जीसैट 18 हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह है जो पुराने हो रहे मौजूदा उपग्रहों को बदलकर हमारे देश में अहम संचार सेवाओं को जारी रखेगा’.

उन्होंने कहा कि जीसैट आगामी दिनों में जिन सेवाओं में सहयोग देगा उनमें टेलीविजन, दूरसंचार, वीसैट एवं डिजिटल उपग्रह समाचार संग्रह शामिल हैं.

कुमार ने अगले साल की शुरूआत में एरियनस्पेस के माध्यम से दो और उपग्रहों जीसैट 17 और जीसैट 11 के प्रक्षेपण की तैयारी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘इन उपग्रहों के प्रक्षेपण संबंधी कार्य उच्च चरण में है’.

उन्होंने कहा, ‘जीसैट 17 हमारे उपग्रहों को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह है और जीसैट 22 हाई थ्रोपुट उपग्रह की इसरो की पहली पीढ़ी होगा. भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ये दोनों आगामी प्रक्षेपण अहम हैं’.

भाषा


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