2018 तक उपलब्ध हो सकते हैं कृत्रिम अग्न्याशय: वैज्ञानिक

Last Updated 03 Jul 2016 03:55:36 PM IST

मधुमेह के रोगियों के रक्त में ग्लूकोज का निरीक्षण करने वाले और शरीर में प्रवेश करने वाले इंसुलिन का स्तर स्वत: ही सही करने वाले कृत्रिम अग्नाशय 2018 तक उपलब्ध हो सकते हैं.


(फाइल फोटो)

वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल जो प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, वह ग्लूकोज मीटर से रीडिंग लेने के बाद मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन पहुंचाने का काम करती है लेकिन ये दोनों घटक अलग-अलग होते हैं.
  
शोधकर्ताओं ने कहा कि दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ देने से एक ‘बंद कुंडली’ बन जाती है, जिससे कृत्रिम अग्न्याशय बनते हैं. जैसा कि अन्य चिकित्सीय उपकरणों के साथ होता है, इन कृत्रिम अग्न्याशय को उपलब्ध करवाने की असल समयसीमा नियामक एजेंसियों से मंज़ूरी पर निर्भर करती है.

इस समय यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) प्रस्तावित कृत्रिम अग्न्याशयों की समीक्षा कर रहा है और इसके लिए वर्ष 2017 तक मंजूरी मिलने की संभावना है.
  
यूके नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च की ओर से की गई हालिया समीक्षा में कहा गया कि बंद कुंडली वाली प्रणालियां वर्ष 2018 के अंत तक यूरोपीय बाज़ार में आ सकती हैं.
  
ब्रिटेन स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय के रोमन होवोर्का और हुड थैबिट ने कहा, ‘परीक्षणों के दौरान से प्रयोगकर्ताओं का रूख इस बात को लेकर सकारात्मक रहा है कि कृत्रिम अग्नाशयों का इस्तेमाल उन्हें अपने मधुमेह के प्रबंधन से ‘छुट्टी’ दे देता है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि यह प्रणाली प्रयोगकर्ता की रक्त शर्करा का प्रबंधन प्रभावी ढंग से कर लेती है और इसका इस्तेमाल करने वाले को लगातार निरीक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ती.’
  
कृत्रिम अग्न्याशयों को कई तरीकों से इस्तेमाल करके कई चिकित्सीय अध्ययन किए जा चुके हैं. ये अध्ययन बच्चों के लिए लगे मधुमेह शिविरों और घरों पर परीक्षण में किए गए हैं.
  
शोधकर्ताओं ने कहा कि इनमें से कई परीक्षणों ने ग्लूकोज नियंत्रण में मौजूदा प्रौद्योगिकियों से बेहतर प्रदर्शन किया है. कई अध्ययन अभी भी जारी हैं. यह अध्ययन एक जर्नल में प्रकाशित हुआ.



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