इसरो ने रचा इतिहास, एक साथ 20 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण

Last Updated 22 Jun 2016 09:59:47 AM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक साथ रिकॉर्ड 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण कर देश के अंतरिक्ष इतिहास में बुधवार को एक नया अध्याय जोड़ दिया.


फाइल फोटो

केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण स्थल से सुबह 9.26 बजे ध्रुवीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी34 ने तीन भारतीय और 17 विदेशी उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष की उड़ान भरी और तकरीबन आधे घंटे बाद इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने मिशन के सफतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की. उन्होंने बताया सभी 20 उपग्रहों को उनकी यथेष्ट कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है. इससे पहले इसरो ने वर्ष 2008 में एक साथ सर्वाधिक 10 उपग्रह छोड़े थे.
      
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर प्रसन्नता जाहिर करते हुये अपने ट्वीट किया कि उन्होंने टेलीविजन पर प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण देखा और अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लगाने के लिए कुछ तस्वीरें भी लीं.

     

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री वाई एस चौधरी ने कहा 20 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के साथ ही इसरो के मुकुट में एक और मणि जुड़ गया है. वैज्ञानिकों को बधाई.
     
इसरो के निदेशक पी उन्नीकृष्णन ने कहा कि इस प्रक्षेपण के साथ ही इसरो ने एक और महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कर लिया है. उन्होंने कहा मैं पूरी टीम के प्रति दिल से आभार व्यक्त करता हूँ. हम अधिक से अधिक पेशेवराना कार्यशैली अपनाते जा रहे हैं. हमें खुशी है कि हम अपने ग्राहकों को विस्तरीय सेवा देने में सफल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इस मिशन के पूरा होने के बाद इसरो जीएसएलवी मार्क-दो और मार्क-तीन के साथ अन्य चुनौतियों के लिए तैयार है.

प्रक्षेपण के बाद नियंत्रण कक्ष में सभी वैज्ञानिकों की निगाहें कंप्यूटर स्क्रीनों पर टिकी थीं. 17 मिनट बाद जैसे ही प्रक्षेपण यान ने सबसे पहले मिशन में सबसे महत्वपूर्ण इसरो के उपग्रह काटरेसैट-2 को उसकी कक्षा में छोड़ा नियांण कक्ष में तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी. इसके बाद भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के उपग्रहों सत्यभामासैट और सत्यम् पीएसएलवी से अलग हो गये.
    
शेष 17 विदेशी उपग्रहों में इंडोनेशिया के लापैन-ए3, जर्मनी के बाइरोस, कनाडा के एम3एमसैट, अमेरिका के स्काईसैटजेनें-1, कनाडा के जीएचजीसैट-डी तथा अमेरिका के 12 डव उपग्रहों को दो चरणों में छोड़ा गया. एक-एक कर उपग्रह प्रक्षेपण यान से अलग-होते गये और वैज्ञानिकों के चेहरों पर मुस्कान बढ़ती गई. सभी 20 उपग्रहों का कुल वजन लगभग 1288 किलोग्राम है. इसमें काटरेसैट-2 727.5 किलोग्राम का तथा अन्य लघु तथा सूक्षम उपग्रहों का कुल वजन 560 किलोग्राम है. 

पीएसएलवी-सी34 ने प्रक्षेपण के 17 मिनट सात सेकेंड बाद काटरेसैट-2 को 505 किलोमीटर की ऊँचाई वाली सौर समचालित कक्षा में स्थापित किया. इस उपग्रह का प्रयोग रिमोट सेंसिंग के लिए किया जायेगा.

इसमें पैनक्रोमैटिक तथा मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरा लगे हैं जिनकी मदद से यह पृथ्वी की नजदीकी तस्वीरें ले सकेगा.

इन तस्वीरों का उपयोग मानचित्रण, शहरी तथा ग्रामीण जरूरतों के लिए, तटीय जमीन के इस्तेमाल तथा उनके नियमन एवं सड़क नेटवर्क के प्रबंधन और जल वितरण जैसे यूटिलिटी प्रबंधन के कामों में किया जा सकेगा. वैज्ञानिकों की इसकी परिचालन उम्र पाँच साल तय की है.
      
प्रक्षेपण के 17 मिनट 42 सेकेंड बाद सत्यभामासैट और स्वयम् को 0.44 सेकेंड के अंतर पर उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया. डेढ़ किलोग्राम वजन वाला सत्यभामासैट चेन्नई के सत्यभामा विविद्यालय का है जिसका इस्तेमाल ग्रीन हाउस गैसों के अध्ययन के लिए किया जायेगा. स्वयम् पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का उपग्रह है. एक किलोग्राम वजन वाले इस उपग्रह का इस्तेमाल प्वाइंट टू प्वाइंट मैसेजिंग के लिए किया जायेगा.
      
वर्ष 1999 से अब तक इसरो 74 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है. पिछले साल तीन मिशनों के तहत इसरो ने 17 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था.

अमेरिका सहित तमाम विकसित देश भी अपने उपग्रहों का प्रक्षेपण इसरो के जरिये करना चाहते हैं क्योंकि इससे प्रक्षेपण का खर्च 10 गुणा तक कम हो जाता है. इसरो बेहद किफायती और सटीक अंतरिक्ष एवं प्रक्षेपण मिशनों के लिए दुनिया में अपना नाम स्थापित कर चुका है.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment