मोदी से भारतीय अंतरिक्ष समुदाय के लिए ‘अच्छे दिन’ और ‘नया सवेरा’

Last Updated 12 Jun 2016 12:23:10 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो वर्ष के शासन काल में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कुछ ‘अच्छे दिन’ देखे हैं और ‘नया सवेरा’ देखने को मिला है.


(फाइल फोटो)

जब से मोदी सत्ता में आये हैं, तब से भारतीय अंतरिक्ष यान मंगल तक पहुंच चुका है. भारत के मिनी स्पेस शटल का प्रक्षेपण शानदार रहा. इसरो ने स्वदेशी उपग्रह आधारित दिशासूचक प्रणाली का विकास कर इतिहास रच दिया.

इस वर्ष के अंत तक इसरो अनूठे दक्षिण एशियाई उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है. यह दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के लिए एक दोस्ताना संचार उपग्रह है, जिसकी परिकल्पना खुद मोदी ने की. भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट की सफलता भी भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
 
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि मोदी भारत के प्रतिदिन की शासन व्यवस्था में अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिक पर बल देते हैं. राजग सरकार के दो वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिला है. 
 
मनमोहन सिंह सरकार के दौरान बेदाग अंतरिक्ष एजेंसी में इस सदी का सबसे बुरा घोटाला देखने को मिला जब देवास-एंट्रिक्स एस-बैण्ड स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आया जिसमें कुल दो लाख करोड़ रूपये की कथित धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया. इससे अंतरिक्ष एजेंसी के मनोबल पर खासा असर पड़ा लेकिन उसने अपना ध्यान इधर उधर नहीं होने दिया.
 
मोदी ने जब 26 मई, 2014 को सत्ता की बागडोर संभाली तो बहुत कम लोगों को ये पता था कि एक समय में चाय बेचने वाले मोदी अंतरिक्ष से जुड़े विषयों के शौकीन रहे हैं. मोदी की इसरो प्रमुख किरण कुमार से अच्छी बनती है, जिनके साथ अहमदाबाद के दिनों से उनके ताल्लुकात रहे हैं जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और कुमार वहां अंतरिक्ष अनुप्रयोग केन्द्र के अध्यक्ष थे. कुमार ने गुजरात में लगभग चार दशक तक काम किया है और अच्छी गुजराती बोलते हैं. इस अच्छे रिश्ते ने इसरो की मदद की है.
 
पिछले दो वर्षों में मोदी के विशेष निर्देश पर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 28 अप्रैल को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की मदद से सातवें और अंतिम उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही भारतीय दिशासूचक प्रणाली नाविक का काम पूरा कर विशेष उपलब्धि हासिल की.
 
मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान के एक विचार को आगे बढ़ाया जब कारगिल विवाद के समय भारत को अच्छे स्तर के उपग्रह आधारित दिशासूचक पण्राली के संकेत उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया गया था. राजग सरकार के पहले चरण में स्वदेशी जीपीएस की नींव पड़ी थी जिसे मोदी ने पूरा किया.



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