फ्रीजर में इंसान की फिर जिंदा होने की चाहत

Last Updated 12 May 2016 06:18:59 PM IST

वैज्ञानिक ये मानते हैं कि किसी को बेहद सर्द माहौल में जमा देने के बाद उसे फिर से जिंदा किए जाने की संभावना है


फ्रीजर में इंसान की फिर जिंदा होने की चाहत

अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के दूसरे देशों में अब ऐसे केंद्र खोले जा रहे हैं जहां लोगों के शरीर को बेहद सर्द माहौल में रखा जा रहा है, इस उम्मीद में कि शायद वो कभी जिंदा हो जाएं. 

अमेरिका और रूस में इस वक्त तीन सौ लोग हमेशा के लिए गुमनामी में खोने वाले हैं, उन्हें इस वक्त बेहद सर्द माहौल में रखा गया है, इसे ‘क्रायोप्रेजर्वेशन’ कहा जाता है, ये तीन सौ लोग उस वक्त इस सर्द माहौल में रखे गए, जब उनके दिलों ने धड़कना बंद कर दिया था. 
 
पूरी तरह से मरने से पहले उनके दिमाग को फ्रीज कर दिया गया था, इसे ‘विट्रीफिकेशन’ कहा जाता है, कानूनी तौर पर ये सभी मर चुके हैं लेकिन अगर वो बोल सकते तो कहते कि उनके शरीर अभी लाश में तब्दील नहीं हुए हैं, डॉक्टरी जबान में कहें तो वो लोग सिर्फ बेहोश हुए हैं, किसी को नहीं मालूम कि इन लोगों को फिर से जिंदा किया जा सकता है या नहीं, लेकिन बहुत से लोग ये मानने लगे हैं कि मरकर हमेशा खत्म होने से ये बेहतर विकल्प है. 
 
अभी दुनिया में करीब 1250 ऐसे लोग हैं जो कानूनी तौर पर जिंदा हैं, वो ऐसी हालत में रखे जाने का इंतजार कर रहे हैं यानी ‘क्रायोप्रेजर्वेशन’ का इंतजार कर रहे हैं, अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के दूसरे देशों में अब ऐसे केंद्र खोले जा रहे हैं जहां लोगों के शरीर को बेहद सर्द माहौल में रखा जा रहा है, इस उम्मीद में कि शायद वो कभी जिंदा हो जाएं. 
 
अमेरिका के मिशीगन के ‘क्रायोनिक्स इंस्टीट्यूट’ के डेनिस कोवाल्स्की कहते हैं किसी को जमा देना, मौत के बाद किसी इंसान के साथ होने वाली दूसरी सबसे बुरी घटना है, मिशीगन का ये इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी क्रायोनिक्स सुविधा वाला केंद्र है. 
 
डेनिस कहते हैं कि कोई भरोसे से नहीं कह सकता कि सर्द माहौल में जमा दिए गए ये लोग फिर से जी उठेंगे, लेकिन ये पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि अगर मरने के बाद आप जला दिए गए या दफन कर दिए गए तो फिर कभी नहीं जी सकेंगे. 
 
यूं तो ‘डिमॉलिशन मैन’ या ‘वनीला स्काई’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में इस संभावना को तलाशने की कोशिश की गई थी, बहुत से वैज्ञानिक ये मानते हैं कि किसी को बेहद सर्द माहौल में जमा देने के बाद उसे फिर से जिंदा किए जाने की संभावना है, कुछ ऐसे तजुर्बे किए गए हैं. 
 
एक खरगोश के दिमाग को क्रायोनिक्स तकनीक से बेहद सर्द माहौल में रखा गया था, कई हफ्तों बाद भी दिमाग सुरक्षित था, हालांकि खरगोश का शरीर अभी भी मुर्दा था, हालांकि मरे हुए खरगोश का दिमाग फिर से चलाना और किसी मरे इंसान को जिंदा करने में बहुत फर्क है, लेकिन बहुत से वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आगे चलकर, ‘क्रायोप्रेजर्वेशन’ या किसी को बहुत ही ठंडे माहौल में रखकर फिर से उसमें जान फूंकना, बेहद आम हो जाएगा. 
 
कुछ इस तरह जैसे लोग सर्दी-जुकाम का इलाज करते हैं, वैज्ञानिक कहते हैं कि ‘क्रायोप्रेजर्वेशन’ अमर होना बड़ी चुनौती भी बन जाएगा, फिर से जिंदा हुए दिमाग का मतलब है कि मौत को हरा दिया जाना, मौत, इंसानों के अस्तित्व का अहम हिस्सा है। उसका खात्मा, नए सिरे से नए तरह के सवाल खड़े करेगा. 
 
‘क्रायोप्रेजर्वेशन’ से फिर से जिंदा किया गया इंसान क्या वाकई वही इंसान माना जाएगा जिसका वो दिमाग था, क्योंकि बदन तो बदल चुका होगा, तो वैसा ही इंसान फिर से जिंदा हो गया है, ये दावा करना ही गलत होगा, इन तमाम सवालों के बावजूद बहुत से लोग फिर से जिंदा होने के विचार को एक मौका देने के हक में हैं.
 



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