सूरज के मुखड़े पर बिंदिया की तरह चमकेगा बुध ग्रह, पूरे भारत में दिखेगा यह नजारा
सौर मंडल में 10 साल बाद एक दुर्लभ खगोलीय घटना का संयोग बन रहा है जब नौ मई को सूर्य के सामने बुध ग्रह एक काले बिंदु की तरह गुजरता दिखाई देगा.
बुध पारगमन (फाइल फोटो) |
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक ऐसा अद्भुत नजारा होगा जो नयी पीढ़ी खासकर स्कूल एवं कालेज के छात्रों की खगोल जगत के संबंध में कौतुहल को दूर करने के साथ सौर मंडल की आकाशीय घटना से रूबरू करायेगा.
राजधानी में यह घटना चार बजकर 40 मिनट से छह बजकर 48 मिनट (सूर्यास्त का समय) तक देखा जा सकेगा. इसे मुंबई में चार बजकर 40 मिनट से सात बजकर तीन मिनट तक, कोलकाता में चार बजकर 40 मिनट से छह बजकर छह मिनट, चेन्नई में चार बजकर 40 मिनट से छह बजकर 25 मिनट और बेंगलुरु में चार बजकर 40 मिनट से छह बजकर 36 मिनट तक देखा जा सकेगा.
इंटर युनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिक समीर धुर्दे ने कहा, ‘सूर्य के सामने से जब बुध ग्रह गुजरेगा तो उस वक्त का नजारा कुछ ऐसा होगा कि किसी ने सूर्य पर एक काला टीका लगा दिया हो। यह अद्भुत खगोलीय घटना नौ मई को घटित होगी.’
उन्होंने कहा कि युवाओं खासकर स्कूल एवं कालेज के छात्रों के लिए यह बड़े अनुभव का विषय होगा और एस्ट्रोनोमिकल सोसाइटी आफ इंडिया से जुड़े 300 वैज्ञानिक इस घटना को छात्रों में प्रसारित करने की पहल में जुटे हैं. इसके साथ ही जिन लोगों के पास इस क्षमता की दूरबीन है, उनसे भी आग्रह किया गया है कि वे अपने अपने क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन करें.
जाने माने वैज्ञानिक प्रो. यशपाल ने कहा कि इस खगोलीय घटना के प्रति लोगों को आशंकित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह महज सौर मंडल की एक अनोखी घटना है. हम सब को अंधविश्वास छोड़ना चाहिए क्योंकि छात्रों के लिए यह अनुभव का विषय है.
उल्लेखनीय है कि नौ मई को बुध पारगमन की खगोलीय घटना शाम 4 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी और इसके पांच घंटे तक रहने का अनुमान है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी घटनाएं तब सामने आती हैं जब सूर्य और पृथ्वी के बीच से बुध गुजरता है और तीनों एक सीध में होते हैं. सूर्य की तुलना में बुध का आकार बेहद छोटा होता है. इसी वजह से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच बुध आयेगा तब वो सूर्य पर एक छोटे से काले टीका के समान लगेगा.
धुर्दे ने बताया कि यह घटना पूरी सदी में 13 से 14 बार दिखाई देती है. भारत में यह नजारा 10 साल बाद दिखाई देगा.
इसके अलावा यूरोप, अफ्रीका, ग्रीनलैंड, दक्षिण अमेरिका, उत्तर अमेरिका, अर्कटिक, उत्तर अटलांटिक सागर के अलावा प्रशांत महासागर के ज्यादातर हिस्से से यह खगोलीय घटना दिखाई देगी.
उन्होंने बताया कि जर्मन खागोलशास्त्री योहानन केप्लर ऐसे पहले खगोलीशस्त्री थे जिन्होंने बुध पारगमन की भविष्यवाणी की थी और अपनी गणना के जरिये इसका पूर्वानुमान व्यक्त किया था. फ्रांसिसी गणितज्ञ पियरे गासेंदी ने टेलीस्कोप के जरिये इस घटना को देखा था.
उल्लेखनीय है कि पिछले तीन बुध पारगमन 1999, 2003 और 2006 में हुए थे. शुक्र पारगमन की तुलना में बुध पारगमन की स्थिति अधिक बार बनती है. एक खास बात यह है कि बुध पारगमन मई या नवंबर माह में देखने को मिलता है.
दिल्ली स्थित नेहरू तारामंडल की निदेशक डा. रत्नाश्री ने बताया कि भारत में बुध पारगमन सभी जगहों से देखा जा सकेगा.
उन्होंने बताया कि इस घटना का पृथ्वी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और यह दुर्लभ घटना है. लेकिन लोग इसे दूरबीन या किसी टेलीस्कोप के जरिये देखें और नंगी आंखों से इसे देखने से बचें. उन्होंने बताया कि इसके लिये नेहरू तारामंडल में विशेष तैयारियां भी की गई हैं जहां स्कूली बच्चों के लिये विशेष तौर पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे.
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