इसरो: सातवें उपग्रह IRNSS-1G के प्रक्षेपण के साथ भारत ने पूरा किया दिशासूचक तंत्र

Last Updated 28 Apr 2016 01:31:09 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो ने भारत का सातवां दिशा सूचक उपग्रह सफलतापूर्वक लांच कर दिया.


IRNSS-1G का सफल प्रक्षेपण

भारत की स्वदेशी उपग्रह नौवहन पण्राली(आईआरएनएसएस) के पहले चरण के लिये आवश्यक सात उपग्रहों की श्रृंखला के सातवें और आखिरी उपग्रह आईआरएनएसएस-1जी का गुरूवार को श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया गया.

आईआरएनएसएस-1जी जब एक माह के समय में संचालन शुरू कर देगा, तब भारतीय क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह तंत्र क्षेत्रीय एवं समुद्री दिशा संचालन (नेविगेशन), आपदा प्रबंधन, वाहन के मार्ग का पता लगाने, यात्रियों एवं पर्यटकों को दिशाओं का पता लगाने में मदद करने, चालकों के लिए दृश्यात्मक एवं श्रव्यात्मक नेविगेशन की सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा.
  
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए और देश के लोगों को बधाई देते हुए कहा, ‘इस सफल प्रक्षेपण के साथ, हम हमारी प्रौद्योगिकी के बल पर खुद अपने रास्ते तय करेंगे.’
  
मोदी ने कहा, ‘दुनिया इसे नाविक के रूप में जानेगी। नई प्रौद्योगिकी हमारे लोगों, हमारे मछुआरों को लाभ पहुंचाएगी. यह वैज्ञानिकों की ओर से जनता को एक महत्वपूर्ण तोहफा है.’
         
आईआरएनएसएस-1 जी का प्रक्षेपण अपरान 12 बजकर पचास मिनट पर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी सी-33) के जरिये  किया गया.उपग्रह का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से किया गया.
        
आईआरएनएसएस-1 जी का वजन 1425 किलोग्राम है और यह पूर्ववर्ती उपग्रहों के ही समान है. इसमें भी दो पे-लोड हैं. एक नेविगेशन पे-लोड और दूसरा रेंजिंग पे-लोड। इन्हें एल-5 और एस बैंड पर परिचालित किया गया. प्रणाली के सक्रिय होने के बाद देश के 1500 किलोमीटर के दायरे में 15 से 20 मीटर शुद्धता तक की पोजिशनिंग सेवाएं मिलने लगेंगी.

इस -श्रृंखला के सात में से छह उपग्रहों (आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी, 1डी, 1ई और 1एफ) का प्रक्षेपण पहले ही हो चुका है. पहले छह अभियानों की तरह सातवें उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए भी इसरो ने पीएसएलवी के विस्तारित संस्करण (एक्सएल) का उपयोग किया.
      
इस प्रक्षेपण के साथ ही भारत क्षेीय उपग्रह नौवहन प्रणाली रखने वाले विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है.

इसरो का वर्कहाउस कहलाने वाले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी33) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद के पहले लॉन्च पैड से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर उड़ान भरी और आसमान को भेदता हुआ चला गया. यह अंतरिक्ष केंद्र चेन्नई से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
   
चार चरणीय इस रॉकेट ने उड़ान के लगभग 20 मिनट बाद आईआरएनएसएस-1जी को तय कक्षा में प्रवेश करवा दिया था. यह पीएसएलवी का लगातार 34वां सफल अभियान था, जिसने इसपर निर्भरता की एक बार फिर से पुष्टि कर दी.
   
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि हालांकि आईआरएनएसएस चार उपग्रहों के साथ पहले से ही सक्रिय था, शेष तीन उपग्रह इसे ‘और अधिक सटीक और दक्ष’’ बनाने के लिए जरूरी थे.
   
आईआरएनएसएस में सात उपग्रह हैं, जो अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की तर्ज पर दिशा सूचक पण्राली में पहले से ‘बेहतर सटीकता’ के साथ और लक्षित स्थिति के साथ सेवाएं देगा



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