सूर्य के प्रकाश से उर्वरक बनाने का अनूठा तरीका

Last Updated 27 Apr 2016 05:58:08 PM IST

वैज्ञानिकों ने सूर्य के प्रकाश का इस्तेमाल करके उर्वरक के मुख्य घटक अमोनिया की एक नई पर्यावरणोन्मुखी किस्म का निर्माण किया है.


‘सीयू बोल्डर’ यूनिवर्सिटी की गोर्दाना दूकोविक

अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अनुसंधान में पाया कि डाईनाइट्रोजन ‘एन-2’ में बदलाव के लिए प्रकाश ऊर्जा का इस्तेमाल करके उससे नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के यौगिक अमोनिया ‘एनएच-3’ का निर्माण किया जा सकता है, ‘एन-2’ एक अणु है जो नाइट्रोजन के दो परमाणुओं से मिलकर बना होता है. 

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि अमोनिया का निर्माण करने वाली प्रकाश संचालित नई रासायनिक प्रक्रिया से नियंत्रण स्तर पर कृषि को बढ़ावा मिलेगा और जीवाश्म ईधनों पर निर्भरता घटेगी.
 
अमेरिका के ऊर्जा मंत्रालय के राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रयोगशाला ‘एनआरईएल’ और कोलोराडो बोल्डर ‘सीयू बोल्डर’ यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि प्रकाश की उपस्थिति में कैडमियम सल्फाइड यौगिक के नैनो आकार के रवों का इस्तेमाल करने से रासायनिक परिवर्तन के दौरान इलेक्ट्रॉन में इतनी ऊर्जा जुड़ जाती है कि इसके कारण ‘एन-2’ अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है. 
 
जीवों के इस्तेमाल के लिए धरती के वातावरण में नाइट्रोजन एक आम गैस है, पारंपरिक तौर पर नाइट्रोजन परिवर्तन के दो मुख्य तरीके हैं - पहला, जैविक प्रक्रिया है, जिसमें वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन फलियों ‘लेग्यूम’ जैसे कुछ पादपों की जड़ों में पाए जाने वाले जीवाणु के संपर्क में आता है और फिर नाइट्रोजीनेज नामक एंजाइम की उपस्थिति में अमोनिया में परिवर्तित होत है. 
 
दूसरी, हैबर-बॉश प्रक्रिया है जो सदियों पहले ईजाद किया गया एक औद्योगिक तरीका है, इस प्रक्रिया में उच्च तापमान और दबाव में जटिल प्रक्रियाओं से गुजार कर ‘एन-2’ को अमोनिया में बदला जाता है, हैबर-बॉश प्रक्रिया में जीवाश्म ईधन के इस्तेमाल की आवश्यकता होती है, जिसके चलते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है. सीयू-बोल्डर की गोर्दाना दूकोविच ने कहा, ‘इसके लिए सेमीकंडक्टर नैनोक्रि स्टलों का संयोजन किया जाता है जो नाइट्रोजीनेज के साथ प्राकृतिक उत्प्रेरक प्रकाश को अवशोषित करता है और यही नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करता है.



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