सूरज ने छीना मंगल से पानी और वायुमंडल : नासा

Last Updated 06 Nov 2015 12:24:06 PM IST

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा आखिरकार उस कारण का पता लगाने में सफल रही जिसके कारण मंगल पर जीवन की संभावनाएं खत्म हो गयी और यह एक निर्जन ग्रह के रूप में परिणित हो गया.


सूरज ने छीना मंगल से पानी और वायुमंडल (फाइल फोटो)

ब्रिटेन के दैनिक समाचारपत्र के अनुसार मंगल पर पानी और जीवन की संभावनाओं की खोज में लगे नासा के अनुसंधानकर्ताओं ने खुलासा किया है कि मंगल पर जीवन की संभावनाओं को खत्म करने वाला और कोई नहीं सूर्य ही है. सौर ज्वालाओं के कारण लाल ग्रह पर मौजूद पानी सूख गया और वायुमंडल भी नष्ट हो गया.
                   
यह प्रक्रिया आज भी जारी है और सूर्य से निकलने वाली इन गर्म ज्वालाओं के कारण मंगल के बाहरी वायुमंडल में आज भी क्षय हो रहा है. नासा की ओर से जारी बयान में बताया गया कि अब मंगल के निर्जन होने का रहस्य का खुल चुका है. सूरज ने ही इस ग्रह से पानी और वायुमंडल को छीन लिया और आखिरकार यह जीवनविहीन ग्रह के रूप में परिणित हो गया.

नासा ने कहा कि इस खोज से लाल ग्रह के इतिहास, उद्विकास और जीवन की संभावनाओं की पूरी पहचान की जा सकती है.
                      
नासा ने यह भी बताया कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेा के कारण यहां मंगल जैसे हालात नहीं बन पाये. अगर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र नहीं होता तो यहां भी मंगल के जैसे हालात होते. पृथ्वी के चारों ओर मौजूद चुम्बकीय क्षेत्र ‘मैग्नेटोस्फेयर’ के कारण यह ग्रह सौर ज्वालाओं के कहर से बचा हुआ है. पृथ्वी पर जीवन के लिए इतनी महत्वपूर्ण इस परत का लगातार क्षय हो रहा है. पिछले 200 साल में इस परत में 15 प्रतिशत का क्षय हो चुका है.
                    
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस परत को नष्ट होने से बचाने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पृथ्वी पर सौर ज्वालाओं का वैसा ही कहर टूटेगा जैसा मंगल पर हुआ था और यहां भी पानी के खत्म होते ही पृथ्वी भी मंगल के जैसा निर्जन ग्रह बन जायेगा.

वर्ष 2014 से मंगल ग्रह के चक्कर लगा रहे नासा के यान मावेन द्वारा मुहैया करायी गयी जानकारी के अनुसार अरबों साल पहले मंगल का वायुमंडल पृथ्वी से भी घना था औ वहां नदी, झील और समुद्र होने के लिए माहौल पूरी तरह से अनुकूल था.

उस समय मंगल के चारों ओर भी रक्षात्मक चुम्बकीय परत थी लेकिन किसी कारणवश मंगल की यह रक्षात्मक परत नष्ट हो गयी और इसी कारण जिस लाल ग्रह पर कभी समुद्र और नदियों की लहरें हिचकोलें लेती थीं उस ग्रह का पानी सौर ज्वालाओं के प्रभाव में पूरी तरह से सूख गया.

आज के समय में मंगल की सूर्य से जितनी दूरी है और उसका वायुमंडल जितना पतला है उसी के कारण यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में कहीं अधिक ठंडा है.

नासा की खोज के अनुसार लाल ग्रह के वायुमंडल से सौर ज्वालाओं के प्रभाव में अब भी गैसों का क्षय हो रहा है.

सौर ज्वालाओं के तीव्र होने पर लाल ग्रह के वायुमंडल में तेजी से क्षय होता है. इन्हीं सौर ज्वालाओं ने मंगल पर मौजूद पानी को सोखकर उसे निर्जन ग्रह में तब्दील कर दिया.



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