ग्लोबल वार्मिग से बदल सकता है पृथ्वी का आकार

Last Updated 03 Oct 2015 11:30:27 AM IST

जलवायु परिवर्तन से न सिर्फ समुद्र गर्म हो रहे हैं और मौसम अनियमित हो रहा है बल्कि एक नए अध्ययन पर गौर करें तो इससे पता चलता है कि इससे हमारे ग्रह की आकृति में भी बदलाव हो सकता है.


फाइल फोटो

 जलवायु परिवर्तन से न सिर्फ समुद्र गर्म हो रहे हैं और मौसम अनियमित हो रहा है बल्कि एक नए अध्ययन पर गौर करें तो इससे पता चलता है कि इससे हमारे ग्रह की आकृति में भी बदलाव हो सकता है.

पांच वर्षो के अध्ययन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने पेटागोनिया और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के ग्लेशियरों की तुलना की. उन्होंने पाया कि अंटार्कटिका की तुलना में अपेक्षाकृत गर्म पेटागोनिया तेजी से बढ़ा और अधिक अपक्षरित हुआ क्योंकि गर्म तापमान और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण उनके आकार में इजाफा हुआ.

‘यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया’ में सहायक प्रोफेसर और प्रमुख लेखिका मिशेल कोप्पस ने कहा, ‘हम लोगों ने पाया है कि अंटार्कटिका की तुलना में पेटागोनिया में ग्लेशियर 100 से 1000 गुना तेजी से अपक्षरित हुए.’ कोप्पस ने कहा, ‘‘अंटार्कटिका गर्म हो रहा है और जैसे-जैसे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ेगा ये और तेजी से पिघलने शुरू हो जाएंगे.’

इस कटाव के फलस्वरूप धुवीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन पर जटिल प्रभाव पड़ रहा है. तेजी से बढ़ रहे ग्लेशियर अनुप्रवाह घाटियों और महाद्वीपीय समतल पर अधिक गाद इकट्ठा कर देते हैं.

मत्स्य पालन, बांधों और पर्वतीय इलाकों में रह रहे लोगों के लिए पेयजल की उपलब्धता पर इसका प्रभाव संभव है. कोप्पस और उनके सहयोगी लेखकों द्वारा इस अध्ययन से जुटाए गए परिणामों ने वैज्ञानिकों के बीच इस बहस को विराम दे दिया है कि ग्लेशियरों के पिघलने से पृवी के आकार पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा.

इस अध्ययन का प्रकाशन ‘नेचर’ नामक जर्नल में हुआ है.

 



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