GSLV-D6 के जरिए GSAT-6 का सफल प्रक्षेपण

Last Updated 28 Aug 2015 04:37:24 AM IST

श्रीहरिकोटा में भारत ने बृहस्पतिवार को अपने नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-6 का सफल प्रक्षेपण किया.


श्रीहरिकोटा : जीएसएलवी-डी6 के जरिए जीसैट-6 का सफल प्रक्षेपण किया गया.

जीएसएलवी-डी6 रॉकेट के जरिए इसका प्रक्षेपण किया गया जो स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन से लैस है.

पांच जनवरी 2014 को हुए जीएसएलवी-डी5 के प्रक्षेपण के बाद यह दूसरा मौका है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने स्वदेश में ही विकसित क्रायोजेनिक चरण का इस्तेमाल किया. पहले के प्रक्षेपण ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया था जो अपने देश में विकसित क्रायोजेनिक इंजन एवं चरण का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, 2010 में दो बार भारत को इसमें असफलता का सामना भी करना पड़ा था.

सफल प्रक्षेपण को ‘ओणम का तोहफा’ करार देते हुए मिशन के निदेशक आर उमा महेरन ने कहा कि ‘नटखट बच्चे’ (नॉटी बॉय) (क्रायोजेनिक चरण) को अब ‘इसरो के सबसे लाडले बच्चे’ में बदल दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘इसरो ने ओणम का तोहफा दिया है-भारत में ही विकसित क्रायोजेनिक चरण से लैस एक भरोसेमंद प्रक्षेपण-जो 2-2.5 टन श्रेणी के उपग्रहों का प्रक्षेपण कर सकता है.’

इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने कहा, ‘हमने दिखाया है कि जनवरी 2014 में जो कुछ हुआ था वह अनायास ही मिली सफलता नहीं थी, बल्कि पूरी टीम ने स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के लिए पुरजोर मेहनत की थी, क्रायोजेनिक की बहुत सारी जटिलताओें की समझ विकसित हुई है.’ 

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉंचपैड से जीएसएलवी-डी6 ने 2117 किलोग्राम वजन के जीसैट-6 को साथ लेकर शाम 4:52 बजे उड़ान भरी और करीब 17 मिनट बाद उपग्रह को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया.

अमेरिका, रूस, जापान, चीन और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसियों के बाद इसरो दुनिया की छठी अंतरिक्ष एजेंसी है जिसने स्वदेशी क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है . दो टन से ज्यादा वजन वाले उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी काफी अहम होती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रक्षेपण को ‘अभूतपूर्व सफलता’ करार देते हुए इसरो टीम को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘हमारे वैज्ञानिकों ने फिर एक और अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की. जीसैट-6 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई.’ स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण से लैस जीएसएलवी-डी5 की पिछली विकासात्मक उड़ान के बाबत उमामहेरन ने कहा, ‘पिछले प्रक्षेपण से स्थापित किए गए मानदंड को बरकरार रखने की जिम्मेदारी हम पर थी. इस मिशन में भी कमी नहीं रही.’

उन्होंने कहा, ‘पांच फरवरी को नटखट बच्चे (नॉटी बॉय) को उपयोगी स्थिति में लाया गया. अब यह इसरो का सबसे लाडला बच्चा बन चुका है और यह सब टीम इसरो की कड़ी मेहनत की वजह से संभव हो सका है.’ जीसैट-6 इसरो द्वारा निर्मित 25वां भू-स्थैतिक संचार उपग्रह है और जीसैट श्रृंखला में यह 12वां उपग्रह है. सामरिक उपयोगकर्ताओं के लिए यह उपग्रह एस-बैंड में पांच स्पॉट बीम और सी-बैंड में एक राष्ट्रीय बीम से लैस है.

घनाकार उपग्रह का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 2,117 किलोग्राम है . प्रणोदकों का वजन 1,132 किलोग्राम और उपग्रह का शुष्क द्रव्यमान 985 किलोग्राम है.  जीसैट-6 उपग्रह का एक अत्याधुनिक पहलू इसका एस-बैंड का खुलने लायक एंटिना है जिसका व्यास छह मीटर होता है. इसरो की ओर से तैयार किया गया यह सबसे बड़ा उपग्रह एंटिना है. जीएसएलवी-डी6 की ओर से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किए जाने के बाद जीसैट-6 का नियंत्रण इसरो की मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी के हाथों में चला गया है.

पीएम ने की इसरो के वैज्ञानिकों की प्रशंसा

मोदी ने ट्वीट किया, ‘एक और दिन और एक और अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की हमारे वैज्ञानिकों ने. जीसैट-6 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई.’



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