मंगल को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाएगा नासा
दुनिया भर के मंगल अभियानों की सक्रियता की वजह से मंगल ग्रह को ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है
मंगल में हुआ ट्रैफिक जाम (फाईल फोटो) |
दुनिया भर के मंगल अभियानों की सक्रियता की वजह से मंगल ग्रह पर अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है. धरती की तरह ही अब इस ग्रह को भी ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है. बढ़ते ट्रैफिक की समस्या ने नासा की चिंताए बढ़ा दी हैं. लेकिन नासा का कहना है कि वह इस समस्या से निबटने को पूरी तरह से तैयार है और एक नए उपकरण को तैयार करने में जुटे हैं.
इस समय मंगल ग्रह पर पांच अंतरिक्ष यान हैं जिनमें भारत का मंगलयान भी शामिल है. नासा ने ऐसे में इन सभी यान को आपस में टकराने से बचाने के लिए एक खास तरह का सिस्टम तैयार किया है. इस सिस्टम के जरिए दो यान करीब न आने पाए, यह सुनिश्चित किया जा सकेगा.
यह सिस्टम नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर के संभावित स्थानों पर भी नजर रखेगा. कैलिफोर्निया स्थित नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी में मार्स मिशन के चीफ इंजीनियर के मुताबिक, इस सिस्टम को वर्ष 1997 में ओडिसी और एमआरओ नेविगेशन टीमों के बीच टक्कर से बचाने के लिए तैयार किया गया था.
इस समय सभी ऑर्बिटर पर करीब से नजर रखी जा रहा है. किसी तरह के मार्ग परिवर्तन की बहुत कम संभावना है. विशेषज्ञों के मुताबिक, मंगल पर ट्रैफिक मैनेजमेंट बहुत ही मुश्किल है क्योंकि 1,000 से ज्यादा एक्टिव ऑर्बिटर और कुछ और निष्क्रिय ठोस वस्तुएं जोखिम बढ़ा रही हैं.
सभी पांच सक्रिय मार्स ऑर्बिटर नासा के डीप स्पेस नेटवर्क के संचार एवं ट्रैकिंग सर्विसेज का प्रयोग कर रहे हैं जिसकी कमान जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी में है. जो पांच अंतरिक्ष यान इस समय मौजूद हैं उनमें नासा का ‘मार्स एटमोसफेयर एंड वोलाटाइल इवोल्यूशन’ (मावेन) और भारत का ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’, यूरोपियन स्पेस एजेंसी का 2003 का ‘मार्स एक्सप्रेस’ और नासा के दो मंगल यान, 2001 के ‘मास ओडिसी’ और 2006 के ‘मार्स रिकानिसएंस ऑर्बिटर’ (एमआरओ) शामिल हैं.
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