आईआईटी के छात्र बना रहे हैं पानी के भीतर काम कर सकने वाले रोबोट
आईआईटी खड़गपुर के छात्र इन दिनों एक ऐसा रोबोट बना रहे हैं जो पानी के भीतर स्वायत्त रूप से काम करेगा.
पानी के भीतर काम करने वाला रोबोट (फाईल फोटो) |
पानी के भीतर काम कर सकने वाला यह स्वायत्त वाहन (ऑटोनॉमस अंडरवाटर वेहिकल-यूएवी) ड्रोन के मुकाबले ज्यादा बुद्धिमता से काम करेगा. यह पानी के भीतर भी दिए हुए काम को पूरा करने में निपुण होगा. यह रोबोट किसी दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे को समुद्र के भीतर खोजने में सक्षम होगा.
सेंटर ऑफ रोबोटिक्स के छात्र पहले ही इस तरह के रोबोट का एक प्रारंभिक स्वरूप क्राकेन 3.0 तैयार कर चुके हैं जो बिल्कुल पनडुब्बियों की तरह 10 मीटर तक पानी की गहराई में जा सकता है.
छात्रों की इस टीम का नेतृत्व करने वाले अभय कुमार ने बताया, ‘हम इसे पहले से किसी विशिष्ट कार्य के लिए निर्दिष्ट (प्रोगाम) कर देते हैं जैसे कि जल के भीतर सव्रेक्षण करना, मलबे में खोए हुए सामानों को पहचानना और उन्हें उठाना इत्यादि. इसे पानी के भीतर किसी जहाज की तली की मरम्मत करने के लिए भी काम में लाया जा सकता है.’
अतिसंवेदनशील सेंसरों और कैमरों से परिपूर्ण यह रोबोट अपने आसपास की चीजों को खोजने में सक्षम है. 1.3 मीटर लंबा यह रोबोट स्वयं पांच दिशाओं में घूमने में सक्षम है.
ड्रोन को पानी के भीतर प्रयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि उनकी बिना तार वाली तकनीक पानी के भीतर काम नहीं करती.
कुमार ने बताया, ‘जब यूएवी एक बार पानी के अंदर चला जाता है तो इसे खुद से निर्णय लेने होते हैं. इसलिए यह ड्रोन से ज्यादा बुद्धिमता से काम करता है. एक शक्तिशाली कंप्यूटर इस मशीन का हिस्सा है.’
यह रोबोट इस तरह बनाए गए हैं कि वे आपात स्थिति से भी निपट सकते हैं.
भारत में कुछ साल पहले आईआईटी में पहला स्वदेशी यूएवी बनाया गया था. तब से अन्य संस्थानों ने कई प्रारंभिक स्वरूप बनाए लेकिन हकीकत में इनका इस्तेमाल अभी दूर की कौड़ी है.
रोबोट का निर्माण कर रहा यह दल प्रोफेसर सी. एस. कुमार की देखरेख में काम कर रहा है.
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