भारतवंशी वैज्ञानिक ने कोशिकाओं से बनाया धड़कता हुआ दिल

Last Updated 23 Mar 2015 07:01:38 PM IST

अमेरिका में एक भारतवंशी वैज्ञानिक ने कोशिकाओं के अधार पर धड़कता हुआ छोटा दिल विकसित किया है.


भारतवंशी वैज्ञानिक ने बनाया धड़कता हुआ दिल

अमरीका के बार्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कार्यरत भारतवंशी वैज्ञानिक अनुराग माथुर ने कोशिकाओं के अधार पर धड़कता हुआ छोटा दिल विकसित करने में सफलता हासिल की है, यह दिल माइक्रोचिप के आधार पर धड़कता है जिसका उपयोग दवाओं की जांच में सुधार के लिए किया जाएगा.

माइक्रोचिप के आधार पर धड़कता हुआ यह दिल मानव शंरीर का चौथा ऎसा अंग है जिसे कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में विकसित किया गया है, प्रयोगशाला में इससे पहले कृत्रिम रूप से फेफड़े, लीवर और आंत बनाए जा चुके हैं, इस दिल को मानव की प्लूरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं से बनाया गया है, ये कोशिकाएं कई प्रकार के ऊतकों का निर्माण करती है.
 
हालांकि इस दिल को फिलहाल किसी इंसान के प्रत्यारोपित करने के लिए नहीं बल्कि दवाओं की जांच करने के लिए बनाया गया है, इस दिल की मदद से शोधकर्ता यह अनुमान लगा सकते हैं कि क्या किसी खास दवाई का विपरीत प्रभाव हो सकता है अथवा मरीज को कितनी दवाई की जरूरत होगी, इससे पहले चूहों या अन्य जानवरों पर दवाइयों का परीक्षण किया जाता था जो कभी-कभार सटीक नहीं होता था, ऎसा इसलिए होता था क्योंकि चूहे दवाईयों पर इस तरह की प्रतिक्रियाएं नहीं दे पाते जैसे कि मानव ऊतक देते हैं.
 
माथुर द्वारा विकसित किए गए इस दिल के बारे में साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है, माथुर का कहना है कि इस छोटे से दिल का भार मानव के बालों के बराबर है और परीक्षणों का यह सटीक परिणाम देने में सक्षम है.
 



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