मंगल पर तैरते पाए गए धूल से भरे झीने बादल, वैज्ञानिक हैरान
मंगल पर अचानक तैरते पाए गए धूल से भरे झीने बादलों ने वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल दिया है.
मंगल पर मिले धूल भरे बादल (फाइल फोटो) |
इन बादलों को शौकिया खगोल वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 में पहली बार देखा था. उसके बाद यह दो बार और करीब 20 दिनों के लिए फिर से दिखाई दिए और गायब हो गए. यह बादल मंगल के वायुमंडल की ऊपरी सतह पर कोई 200 किलोमीटर की ऊंचाई पर करीब एक हजार किलोमीटर के दायरे में छाए हुए थे.
साइंस पत्रिका नेचर के ताजा अंक में इन बादलों पर एक शेध रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि लाल ग्रह पर इतने बडे दायरे में ऐसे बादल पहले कभी नहीं देखे गए. ग्रह का वायुमंडल बेहत पतला होने के कारण ऐसे बादलों का उसमें देखा जाना बेहद आश्चर्यजनक है.
वैज्ञानिकों में इसे लेकर दो मत हैं.कुछ का मानना है कि यह या तो कार्बनडाइआक्साइड और जल कणों के मिश्रण से बने बादल थे या फिर ग्रह के धुवीय क्षेत्र में उसके चुंबकीय प्रभाव और सूर्य की रौशनी के समिश्रण से बनने वाला ध्रुवीय प्रकाश है जो तस्वीरों में चमकीला सा दिखाई दे रहा है.
शौकिया खगोल वैज्ञानिक डामियान पीच ने दूरबीन की मदद से इन बादलों को मार्च 2012 में पहली बार देखा था और उसकी कयी तस्वीरें खीचीं थीं. इन तस्वीरों को उसने नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के पास भेज दिया था.
वैज्ञानिकों के दल ने इनका अध्ययन करने के बाद इस तस्वीरों के सही होने कि पुष्टि की है, लेकिन यह बादल कैसे बने इसे लेकर रहस्य बना हुआ है और वैज्ञानिक इसका पता नहीं लगा पा रहे.
वैज्ञानिकों के अनुसार यह बादल पहले गोलाकार थे जो कुछ समय बाद लंबवत आकार के होकर विलुप्त हो गए. हालांकि इनके धुवीय प्रकाश होने का तर्क इसलिए सही नहीं लग रहा है क्योंकि मंगल का वायुमंडल बेहद झीना होने के कारण ऐसे प्रकाश का बनना संभव नहीं है.
वैज्ञानिक दल का मानना है कि इस रहस्य का पता लगाने के लिए दोबारा से इन बादलों के आने का इंतजार करना होगा या फिर मंगल ग्रह के लिए भेजे गए अंतरिक्ष यानों से मिलने वाली तस्वीरों से इस बार में कुछ अहम सुराग मिल सकेंगे.
उनका कहना है कि यदि यह सही में बादल ही पाए गए तो मंगल के वायुमंडल के बारे में अभी तक बनी धारणा गलत साबित होगी.
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