IRNSS 1D के प्रक्षेपण के लिए इसरो ने कमर कसी
Last Updated 06 Jan 2015 09:04:59 PM IST
ISRO इस साल कुछ और उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी में है जिसमें सबसे पहले IRNSS 1D का प्रक्षेपण है.
प्रक्षेपण के लिए तैयार IRNSS 1D |
पिछले वर्ष कई सफल अभियानों को अंजाम देने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, ISRO इस साल सबसे पहले IRNSS 1D का प्रक्षेपण करेगा, इससे भारत अपनी दिशा सूचक प्रणाली तैयार कर सकेगा जो अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के समतुल्य होगी.
ISRO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ IRNSS 1D का प्रक्षेपण अभियान 16 जनवरी से शुरू होगा, दो महीने के भीतर ISRO की अन्य प्रयोगशालाओं से सभी उपकरणों को श्रीहरिकोटा ले जाया जाना है, प्रक्षेपण 15 मार्च के बाद होने की संभावना है.’’
गौरतलब है कि IRNSS 1D इस श्रृंखला में प्रक्षेपित किये जाने वाले सात उपग्रहों में चौथा है जिसे राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी प्रक्षेपित करने की योजना बना रही है ताकि भारतीय क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह प्रणाली, इंडियन रीजनल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) स्थापित की जा सके, इस प्रणाली को शुरू करने के लिए चार उपग्रह पर्याप्त हैं लेकिन शेष तीन और उपग्रह से प्रणाली सटीक तथा ज्यादा कारगर बन जायेगी,
अधिकारी ने बताया कि IRNSS श्रृंखला के तहत दो अन्य उपग्रह IRNSS 1E और IRNSS 1F का प्रक्षेपण भी इस साल के अंत से पहले किया जायेगा.
IRNSS श्रृंखला के तहत तीन उपग्रहों का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से एक जुलाई 2013 तथा पिछले वर्ष चार जुलाई और 16 अक्तूबर को किया गया था.
पूर्ण रूप से तैनात IRNSS में भू स्थैतिक कक्षा में तीन और चार उपग्रह शामिल होंगे जो पृथ्वी से 36,000 किलोमीटर से उपर है.
IRNSS प्रणाली को इस वर्ष पूरा किये जाने का लक्ष्य रखा गया था और इसके लिए 1420 करोड़ रूपये की कुल लागत निर्धारित की गई है.
अभी तक दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही अपनी दिशा सूचक प्रणाली है जिसमें रूस की ग्लोनास, अमेरिका की जीपीएस, यूरोपीय संघ की जीएनएसएस और चीन की बेईदोउ उपग्रह दिशा सूचक प्रणाली शामिल है.
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