मंगल पर मिले पानी के नए साक्ष्य: नासा

Last Updated 09 Dec 2014 02:27:17 PM IST

भारतीय मूल के वैज्ञानिकों के एक दल के नेतृत्व में नासा के क्यूरोसिटी रोवर ने मंगल पर पानी की मौजूदगी के नए साक्ष्य खोज निकाले हैं.


मंगल पर मिले पानी के नए साक्ष्य (फाइल फोटो)

इन साक्ष्यों से ये संकेत मिलते हैं कि सौरमंडल में पृथ्वी के साथ सबसे अधिक समानता रखने वाला लाल ग्रह सूक्ष्मीजीवीय जीवन के लिए उपयुक्त था.
    
नासा की ओर से मंगल पर भेजे गए क्यूरोसिटी नामक रोवर द्वारा ली गई तस्वीरें और जुटाए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि गेल क्रेटर के तल में कभी एक झील या कई झीलों के रूप में नदियां बहती थीं.

गेल क्रेटर किसी अंतरिक्षीय चट्टान के कारण मंगल की सतह पर बना एक बड़ा गड्ढा है.
    
नासा ने कहा कि गेल क्रेटर में क्यूरोसिटी की खोजों की व्याख्या कहती है कि प्राचीन काल के मंगल पर एक ऐसा वातावरण था, जो लाल ग्रह के विभिन्न स्थानों पर पुरानी झीलों का निर्माण कर सकता था.
    
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि मंगल के माउंट शार्प का निर्माण कई लाख वर्षों तक एक बड़ी झील के तल में तलछट जमा होने कारण हुआ था.

नासा की जेट प्रपल्शन लेबोरेटरी में क्यूरोसिटी के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट भारतीय मूल के अमेरिकी अश्विन वासावदा ने कहा, ‘‘यदि माउंट शार्प के बारे में हमारी परिकल्पनाएं कायम रहती हैं तो इनसे उन धारणाओं के लिए चुनौती पैदा होगी, जिनके अनुसार, गर्माहट और नमी वाली स्थितियां क्षणिक, स्थानीय थीं या फिर मंगल की जमीन के नीचे ही मौजूद थीं’’.
    
शोधकर्ताओं ने कहा कि सतह से ऊपर निकले चट्टानी अंशों की मोटाई दर्शाती है कि झील-या झीलें लाखों सालों तक गेल क्रेटर के 154 किलोमीटर गहरे तल में रही होंगी. हालांकि झील संभवत: सूख गई होगी और फिर कई बार पुन: भर गई होगी.
    
उन्होंने कहा, ‘‘एक परिपूर्ण व्याख्या यह है कि मंगल के प्राचीन और सघन वातावरण के कारण तापमान बढ़कर हिमकारी ताप से ऊपर पहुंच गया लेकिन अब तक हमें यह नहीं पता कि वातावरण ने यह किया कैसे?’’
    
माउंट शार्प लगभग पांच किलोमीटर ऊंचा है और इसके निचले हिस्से में सैंकड़ों चट्टानी परतें हैं.
    
एक बयान में नासा ने कहा कि इस परतदार पर्वत का एक क्रेटर में होना शोधकर्ताओं के लिए एक चुनौतीपूर्ण सवाल बना हुआ है.

क्यूरोसिटी के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जॉन ग्रोटजिंगर ने कहा, ‘‘हम माउंट शार्प का रहस्य सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं’’.
    
उन्होंने कहा, ‘‘जहां, इस समय एक पर्वत है, हो सकता है एक समय वहां झीलें रही हों’’.
    
क्यूरोसिटी इस समय माउंट शार्प की निचली तलछट परतों का अध्ययन कर रहा है.
   
नदियां झील में रेत और मिट्टी को लेकर आईं, जिसके चलते नदी के मुहानों पर जमाव हो गया और डेल्टा बन गए. यह ठीक वैसे ही है, जैसे पृथ्वी पर नदियों के मुहानों पर पाए जाते हैं.
   
क्यूरोसिटी साइंस के दल के सदस्य और लंदन के इंपीरियल कॉलेज के संजीव गुप्ता ने कहा, ‘‘हमें अवसादी शैल मिली हैं, जो एक के ऊपर एक प्राचीन डेल्टाओं के ढेर का संकेत देती हैं’’.
   
उन्होंने कहा, ‘‘क्यूरोसिटी नदियों की बहुलता वाले पर्यावरण से निकलकर झीलों की बहुलता वाले पर्यावरण में प्रवेश कर गयां’’.



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