वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा नापने वाला स्केल तैयार किया

Last Updated 29 Nov 2014 02:25:12 PM IST

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई विधि खोज निकाली है जिससे किसी भी आकाशगंगा की चौड़ाई और लंबाई नापी जा सकती है.


आकाशगंगा नापने वाला स्केल तैयार

धरती पर दूरी नापने के लिए बनाए गए स्केल के समान ही यदि अंतरिक्ष में लाखों-करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाश गंगाओं के आकार को नापने के लिए भी स्केल का इस्तेमाल किया जाए तो सोचिए यह कितना दिलचस्प होगा. 

‘साउथ हैम्पटन विश्वविद्यालय’ के प्रोफ्रेसर सबैस्टियन होईग के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने हवाई द्वीप का मुआयना किया और पहाड़ी पर स्थित ‘WMK’ वेधशाला के जरिए ऐसी ही एक नई विधि खोज निकाली. 
 
यह विधि भूमि का सर्वे करने वालों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विधि से काफी मिलती-जुलती है, इसके जरिए किसी भी आकाशगंगा की चौड़ाई और लंबाई सब कुछ नापी जा सकती है. 
 
साइंस पत्रिका ‘नेचर’ में इस बारे में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक आकाशगंगा ‘NGC-4151’ के केंद्र ‘आईआफसारोन’ से निकलने वाले प्रकाश को मुख्य बिंदु मानते हुए वहां से आकाशगंगा के विस्तार को नापने की कोशिश की है. 
 
वैज्ञानिकों के अनुसार आकाशगंगाओं का यह केंद्र दरअसल ‘श्याम विवर’ यानी कि ब्लैकहोल होता है, यह वह स्थान है जिसके चारों ओर धूल भरें गैस के बादलों वाले लाखों तारों के झुंड चक्कर काटते हैं. 
 
केंद्र का गुरूत्व बल इतना अधिक होता है कि यह कई तारों का भक्षण कर जाता है, इस प्रक्रिया में बेहद चमकीली, अवरक्त किरणों का विकिरण होता है. 
 
वैज्ञानिकों ने इस प्रकाश के उद्गम स्थल को ही आकाशगंगाओं के विस्तार को नापने का मुख्य बिंदु निर्धारित किया है. 
 
ब्लैकहोल से निकलने वाले प्रकाश के आकाशगंगाओं के छोर तक पहुंचने में लगने वाले समय की गणना प्रकाश की गति के हिसाब से करने के बाद आकाशगंगाओं का आकार नापने की नई विधि खोजी गई है. 
 
होइंग ने कहा कि नई विधि काफी हद तक सटीक साबित हुई है इसके गलत होने की गुंजाइश महज 10 फीसद है.
 



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