अब 30 मिनट में पता चलेगा इबोला संक्रमण

Last Updated 29 Oct 2014 07:28:46 PM IST

वैज्ञानिकों ने महज तीस मिनट में इबोला संक्रमण की पहचान कर लेने वाली एक सस्ती तकनीक तैयार की है जो जल्द ही डॉक्टरों को उपलब्ध हो जाएगी.


इबोला संक्रमण

वैज्ञानिकों के अनुसार ‘डीएनए’ प्रोग्रामिंग वाले ‘ब्लाटिंग पेपर’ की मदद से इबोला की जांच की जा सकती है. 

वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि केवल 12 घंटों में प्रोटोटाइप इबोला टेस्ट को विकसित किया जा सकता है जिसे बनाने में लगभग 20 डॉलर के सामान का उपयोग होता है. 
 
इस परीक्षण में एक जैविक घोल का उपयोग किया जाता है जिसमें ‘आरएनए’(राइबोन्यूक्लिक एसिड) भी मिला होता है, ‘आरएनए’ मनुष्य की आनुवंशिकी में प्रमुख भूमिका निभाता है. 
 
वैज्ञानिकों के अनुसार इसे संरक्षित करने की तकनीक से किसी साधारण कागज पर संरक्षित किया जा सकता है. 
 
बोस्टन और हार्वड विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिक जिम कालिन ने इस शोध का नेतृत्व किया.
 
कालिन ने कहा, ‘यह जैविक चूर्ण साधारण पानी के उपयोग से भी सक्रिय हो सकता है, एक बार जब यह चूर्ण दोबारा गीला होता है तो छोटे कागज के टुकड़े पर ये ऐसे काम करता है जैसे वह किसी जीवित कोशिका के अंदर हो.’ 
 
उन्होंने कहा कि केवल 12 घंटों में उनकी टीम के दो सदस्यों ने इबोला की परीक्षण करने वाले 24 सेंसर बनाए, यह जांच किट इबोला संक्रमण होने पर पीले रंग को बैंगनी रंग में बदल देती है और यह परिवर्तन महज आधे घंटे में नजर आने लगता है. 
 
कालिन ने स्पष्ट किया कि उनके द्वारा विकसित इबोला टेस्ट अभी उन जगहों पर उपयोग होने लायक नहीं है जहां यह बीमारी बड़े स्तर पर फैली हुई है लेकिन उम्मीद है कि ऐसी जगहों पर टेस्ट करने लायक तकनीक भी विकसित की जा सकती है.
 



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