भारत के सहयोग से थर्टी मीटर टेलीस्कोप का निर्माण शुरू
अत्याधुनिक थर्टी मीटर टेलीस्कोप के निर्माण का काम भारत, अमेरिका, कनाडा, जापान और चीन के एक अंतरराष्ट्रीय संघ ने इस सप्ताह हवाई में शुरू कर दिया है.
थर्टी मीटर टेलीस्कोप का निर्माण शुरू (फाइल) |
इस विशालकाय दूरबीन के निर्माण की अनुमानित लागत 1.47 अरब डॉलर है.
यह विशालकाय दूरबीन वर्ष 2020 तक तैयार हो जानी है. यह दूरबीन अंतरिक्ष विज्ञानियों को धरती पर ही मौजूद रहते हुए ब्रह्मांड की जटिलताओं को समझने की क्षमता देगी.
इस महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय परियोजना में भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है. इसके जरिए वैज्ञानिकों को आधुनिक विज्ञान के कई सबसे मूल सवालों के जवाब ढूंढने में मदद मिलेगी.
पिछले माह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अमेरिका के हवाई में चल रही 1299.8 करोड़ रूपए की लागत वाली ‘थर्टी मीटर टेलीस्कोप’ परियोजना में भारत की भागीदारी के लिए अपनी सहमति दी थी.
इस परियोजना में अंतरराष्ट्रीय संघ लगा है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, जापान, भारत और चीन के संस्थान शामिल हैं. भारत की ओर से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग इसमें संयुक्त रूप से काम करेंगे.
अपने योगदान के साथ भारत परियोजना में 10 फीसदी का साझेदार है.
थर्टी मीटर टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिक उन पिण्डों का अध्ययन कर सकेंगे, जो ब्रह्मांड में हमसे बहुत दूर हैं और बेहद धुंधले हैं. इससे ब्रह्मांड के विकास के प्रारंभिक चरणों के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
इसके अलावा यह उन पिंडों के बारे में जानकारियां देगी, जो ज्यादा दूर नहीं हैं. इनमें सौरमंडल में अभी तक न खोजे जा सके ग्रह और अन्य पिंडों के साथ-साथ अन्य तारों के चारों ओर के ग्रह भी शामिल हो सकते हैं.
भारत की ओर से परियोजना का नेतृत्व बेंगलूर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स को आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज, नैनीताल और इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफीजिक्स, पुणे की मदद से करना है.
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