आईआईटी प्रोफेसर ने तैयार किया वाटरलेस यूरिनल
देश में सार्वजनिक टॉयलेट के लिए पानी की कमी और उसके कारण होने वाली दुर्गंध अब पुरानी बात होगी.
Dr V M Chariar (file photo) |
जलसंकट के इस दौर में नई डिज़ाइन वाले निर्जल मूत्रालय आज के समय की महती आवश्यकता हैं. जलविहीन मूत्रालय को कुछ इस प्रकार बनाया गया है कि इनमें मूत्र के निस्तारण के लिये परम्परागत मूत्रालयों की तरह पानी की आवश्यकता नहीं होती.
इन मूत्रालयों को घरों, संस्थानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाना चाहिये. इन मूत्रालयों से पानी की बचत के साथ-साथ, ऊर्जा की बचत तथा खेती के लिये एक विशाल खाद स्रोत भी मिलेगा.
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ने इस समस्या का हल ढूंढ निकाला है. उन्होंने एक जल और दुर्गधरहित टॉयलेट तैयार किया है. इसमें पानी फ्लश करने की जरूरत नहीं होगी और इससे दुर्गध भी नहीं होगा.
आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. वी एम चेरियार ने कहा कि मेरे मन में यह सवाल उठा कि आखिर हम क्यों मूत्र और उसकी दुर्गध को समाप्त करने के लिए कई लीटर पानी बहा देते हैं, जबकि इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए. अभी तक ऐसे पानी को पुन: काम में लाने का हमारे देश में कोई तकनीक विकसित नहीं हो सका है. हमने सोचा कि क्यों न जलरहित टॉयलेट का निर्माण किया जाए.
प्रोफेसर चेरियार ने बताया कि मेरे द्वारा तैयार इस टॉयलेट के लिए पानी की जरूरत नहीं होती है और इसे घर, संस्थान और सार्वजनिक स्थानों पर लगाकर पानी और लोगों को होने वाली परेशानियों से बचाया जा सकता है.
चेरियार द्वारा तैयार किए गए चार हजार ऐसे टॉयलेट देशभर लगाए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि अभी केवल पुरुषों के इस्तेमाल वाले टॉयलेट तैयार किए गए हैं. महिलाओं के लिए ऐसे टॉयलेट इस साल नवंबर में लांच कर दिए जाएंगे.
जलरहित टॉयलेट पारंपरिक डिजायन वाले टॉयलेट जैसा है और इसके इस्तेमाल तरीका भी एक जैसा ही है. लेकिन नया एक टॉयलेट प्रति वर्ष लगभग एक लाख 70 हजार लीटर पानी की बचत करेगा.
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