केदारघाटी में फिर मिले दर्जनों नरकंकाल

Last Updated 14 Oct 2016 12:14:23 PM IST

केदारघाटी में त्रिजुगीनारायण ट्रैक पर फिर से नरकंकाल मिलें हैं.


(फाइल फोटो)
नरकंकाल मिलने की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बृहस्पतिवार को आनन-फानन में अधिकारियों की बैठक बुलाई और गढ़वाल के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल को केदारघाटी में नरकंकालों का पता लगाने के लिए सर्च अभियान चलाने और उनका डीएनए टेस्ट कराकर अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिए. 
 
आईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि सर्ज अभियान में उन ट्रैकर्स को भी शामिल किया जाएगा जिन्होंने नरकंकाल देखे हैं. मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद एसडीआरएफ की दो टीमें सर्च आपरेशन पर निकल गई हैं.
 
इसके साथ जून 2013 में आई आपदा के बाद कराए गए कई दौर के सर्च आपरेशन के बाद कहीं कोई कंकाल न होने के सरकार का दावे पर सवाल उठने लगे हैं. 
 
बता दें कि शेरसी से केदारनाथ के लिए निकले पैदल ट्रैकिंग दल को सात अक्टूबर को त्रिजुगीनारायण-केदारनाथ पैदल ट्रैक पर दर्जनों नरकंकाल दिखाई दिए थे. 
 
ट्रैकिंग दल पहले शेरसी से मयालीटॉप के रास्ते केदारनाथ जा रहा था, लेकिन रास्ते में पानी न होने के कारण दल ने त्रिजुगीनारायण की ओर रुख किया. दल ने जब त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ की ओर पैदल सफर शुरू किया तो नौ किमी पर गोमपुडा स्थान पर नरकंकाल मिलने शुरू हो गए. 
 
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स्थानीय निवासी अशोक सेमवाल ने बताया कि लगभग 10 से 12 किमी ट्रैक पर उन्होंने दर्जनों नरकंकाल देखे. अशोक सेमवाल ने बताया कि कुछ कंकालों पर कपड़ों के अवशेष भी हैं. 
 
ट्रैकिंग दल के दूसरे सदस्य अरुण जमलोकी ने बताया कि त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ करीब 27 किमी दूर है. अनुमान है कि जून 2013 की आपदा में जब रामबाड़ा का नामोनिशान मिट गया तो जगंलचट्टी से लेकर रामबाड़ा और रामबाड़ा से केदारनाथ ट्रैक के बीच जो श्रद्धालु जिंदा बचे वे जान बचाने के लिए पहाड़ी की ओर भागे लेकिन भूख, बारिश और ठंड की वजह से मारे गए थे. 
 
सर्च आपरेशन के दौरान केदारघाटी के आसपास के जंगलों में भी श्रद्धालुओं के शव बरामद हुए थे. इसके बाद सितंबर में 10 सदस्यीय टीम ने कांबिंग आपरेशन चलाया था. दो-दो बार आपरेशन चलाया गया. 
 
राज्य सरकार की ओर से कोई नरकंकाल न होने का दावा किया गया था. उस दौरान राहत बचाव कार्य में केदारनाथ के नौ अलग-अलग पैदल मागरे पर कांबिंग आपरेशन नहीं चलाया गया. 
 
माउंटेनियर्स एंड ट्रैकिंग एसोसिएशन (माटा) के अध्यक्ष मनोज रावत ने कहा कि वह शुरू से इस बात को उठा रहे थे कि इन पैदल ट्रैक पर नरकंकाल हो सकते हैं. मनोज रावत ने कहा कि सभी ट्रैकिंग रुट की पूरी जानकारी राज्य सरकार को सौंप दी गई है.
 
 

सहारासमयलाइव न्यूज


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