HC ने उत्तराखंड सरकार से पूछा, पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास खाली कराने को क्या किया?

Last Updated 08 Oct 2016 11:42:44 AM IST

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 12 दिन का समय देते हुए उससे यह स्पष्ट करने को कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के कब्जे वाले सरकारी बंगलों को खाली कराने के लिये उसने क्या किया.


पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास

पदमश्री से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता अवधेश कौशल द्वारा इस संबंध में 2010 में दायर की गयी एक जनहित याचिका पर सुनवायी करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार 19 अक्तूबर तक यह स्पष्ट करे कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के कब्जे वाले सरकारी बंगलों को खाली कराने के लिये उसने क्या कदम उठाये.

याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेयन गुप्ता ने बताया कि अदालत ने यह निर्देश पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा अपने वकीलों के जरिये अदालत को यह बताने के बाद दिया कि सरकारी आवास राज्य सरकार द्वारा आवंटित किये गये हैं और उसके कहने के बाद ही उन्हें खाली किया जा सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्रियों पर टाल-मटोल वाला रवैया अपनाने की बात कहते हुए गुप्ता ने उनके इस ताजा रूख पर

आश्चर्य जताया और कहा कि 30 सितंबर को हुई पिछली सुनवायी में उन्होंने अदालत से कहा था कि वे सरकारी बंगले खाली करने को इच्छुक हैं.

स्वयं सरकारी बंगले खाली करने के पूर्व मुख्यमंत्रियों के इरादे पर संदेह व्यक्त करते हुए गुप्ता ने दलील दिया कि वे जानबूझकर मामले को लटका रहे हैं. ऐसे में अदालत को ही बंगले खाली करने का आदेश देना होगा.

पहली बार अदालत में पेश हुए पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के वकील ने नेता की बीमारी का हवाला देते हुए सरकारी बंगला खाली करने के लिये छह माह का समय मांगा.

पद से हटने के वर्षों बाद भी लखनउ में वर्षो से सरकारी बंगलों पर काबिज उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को उन्हें खाली करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कौशल ने पिछले महीने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से छह साल पहले दायर इसी प्रकार की याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था.

याचिकाकर्ता का कहना है कि जब राज्य मानवाधिकार आयोग जैसी संवैधानिक संस्थायें किराये के भवनों से काम कर रही हों तो पूर्व मुख्यमंत्रियों का पद से हटने के बावजूद वर्षों से सरकारी आवासों पर कब्जा बनाये रखना तर्कसंगत नहीं है.

उन्होंने बताया कि मानवाधिकार आयोग को अपने कार्यालय भवन का 1.20 लाख रूपए प्रतिमाह किराया देना पड रहा है.

याचिका में तिवारी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी, विजय बहुगुणा, भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक के नाम शामिल हैं.
 

भाषा


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